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सावन में महामृत्युंजय मंत्र का जप क्यों है सबसे प्रभावशाली? वायरल वीडियो में जाने इसके नियमित जाप से मिलने वाले लाभ 

सावन में महामृत्युंजय मंत्र का जप क्यों है सबसे प्रभावशाली? वायरल वीडियो में जाने इसके नियमित जाप से मिलने वाले लाभ 

सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की आराधना का श्रेष्ठ समय माना जाता है। यह मास शिवभक्तों के लिए विशेष ऊर्जा, शांति और आत्मिक जागृति का प्रतीक होता है। इस दौरान अनेक श्रद्धालु भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विविध मंत्रों, व्रतों और उपवासों का पालन करते हैं। इन सभी में "महामृत्युंजय मंत्र" को अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावकारी माना गया है। यह मंत्र न केवल मृत्यु के भय को हरता है, बल्कि जीवन में आने वाली अनेक कठिनाइयों से भी रक्षा करता है।


महामृत्युंजय मंत्र क्या है?

महामृत्युंजय मंत्र ऋषि मरीचि के पुत्र महर्षि मार्कण्डेय द्वारा रचित एक वैदिक मंत्र है, जिसे शिव पुराण और ऋग्वेद में भी उल्लेखित किया गया है। इस मंत्र का उच्चारण इस प्रकार है:

“ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”

इस मंत्र में भगवान शिव को त्रिनेत्रधारी (त्र्यंबक) कहकर पुकारा गया है और उनसे प्रार्थना की गई है कि जैसे पककर स्वतः बेल का फल डाली से गिर जाता है, वैसे ही हमें भी मृत्यु के बंधनों से मुक्त करें, परंतु अमरत्व (अर्थात आध्यात्मिक अमरता) प्रदान करें।

सावन में महामृत्युंजय मंत्र का विशेष महत्व
सावन का महीना चंद्रमा और जल तत्व से जुड़ा होता है। चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है और मन की शांति के लिए शिव साधना सर्वोत्तम मानी जाती है। जब इस माह में महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जप किया जाता है, तो इसका प्रभाव कई गुना अधिक होता है। शिव स्वयं मृत्युंजय — अर्थात मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले — हैं। ऐसे में इस मंत्र के जप से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

महामृत्युंजय मंत्र के लाभ
स्वास्थ्य लाभ: इस मंत्र को "संजीवनी मंत्र" भी कहा जाता है। मान्यता है कि इसका नियमित जाप करने से गंभीर बीमारियों में राहत मिलती है। मानसिक तनाव, अनिद्रा, हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं में यह अत्यंत लाभकारी है।
मृत्यु भय से मुक्ति: जिन लोगों को अकाल मृत्यु का भय होता है, उनके लिए यह मंत्र एक ढाल की तरह काम करता है। सावन के दौरान इसका जप करने से जीवन में स्थायित्व आता है।
नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: महामृत्युंजय मंत्र एक शक्तिशाली कंपन (vibration) उत्पन्न करता है, जो नकारात्मक ऊर्जा, भय, भूत-प्रेत बाधा और दुर्भाग्य को दूर करता है।
मन की शांति और आत्मबल में वृद्धि: सावन में इस मंत्र का जाप ध्यानपूर्वक करने से मानसिक स्थिरता मिलती है। यह मंत्र मन को एकाग्र करता है और आत्मिक शक्ति को बढ़ाता है।
रोगमुक्ति और दीर्घायु: यह मंत्र रोगों से मुक्ति और दीर्घायु जीवन का प्रतीक है। रोगी व्यक्ति के पास बैठकर अगर इस मंत्र का जाप किया जाए तो उसे मानसिक बल मिलता है।
कार्मिक बंधनों से मुक्ति: जीवन में कई बार पुराने कर्म हमें बांधकर रखते हैं। यह मंत्र उन अदृश्य बंधनों को काटने और आत्मा को शुद्ध करने में सहायक होता है।

जाप की विधि
सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
रुद्राक्ष की माला से 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
गाय के घी का दीपक जलाएं और भगवान शिव का ध्यान करें।
जाप के समय मन और वाणी की पवित्रता बनाए रखें।
जाप शांत वातावरण में, एकाग्रता के साथ करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

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