क्यों काल भैरव को चढ़ाई जाती है शराब? उज्जैन के इस मंदिर से जुड़ा है ऐसा रहस्य जिसे जानकर रह जाएंगे हैरान
मध्य प्रदेश में 1 अप्रैल से कई बड़े बदलाव लागू हो गए हैं। सबसे बड़ा बदलाव धार्मिक स्थलों पर शराबबंदी है। प्रदेश के 19 धार्मिक स्थलों पर शराबबंदी कर दी गई है। अब इन धार्मिक स्थलों के सीमा क्षेत्र में शराब की दुकानें नहीं होंगी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल महाकाल की नगरी उज्जैन को लेकर है। उज्जैन में काल भैरव का मंदिर है। इस मंदिर में शराब चढ़ाई जाती है। हालांकि प्रशासन का कहना है कि प्रसाद के लिए शराब की व्यवस्था मंदिर प्रबंधन करेगा। आइए जानते हैं काल भैरव को क्यों चढ़ाई जाती है शराब और इसके पीछे क्या है कहानी?
चढ़ाई जाती है शराब
महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित काल भैरव के मंदिर में शराब चढ़ाई जाती है। इस मंदिर के आसपास स्थित दुकानों में प्रसाद के लिए शराब मिलती थी। लेकिन अब यहां शराब नहीं मिलेगी। यहां आने वाले भक्त आसपास से शराब खरीदकर भोग लगाते थे, कहा जाता है कि भोग लगाने के बाद इस शराब का सेवन नहीं किया जाता था।
प्रसाद के रूप में क्यों चढ़ाई जाती है शराब
काल भैरव को शराब क्यों चढ़ाई जाती है, इसके बारे में कई मान्यताएं और कहानियां हैं। कुछ किंवदंतियों के अनुसार शराब चढ़ाने की प्रथा राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में शुरू हुई थी। वहीं, कुछ किंवदंतियां ऐसी हैं कि काल भैरव को तांत्रिकों का देवता भी माना जाता है। ऐसे में इसका इस्तेमाल तांत्रिक अनुष्ठानों में किया जाता था, यहीं से शराब चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
भोपाल निवासी ज्योतिषाचार्य और वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ने नवभारत टाइम्स डॉट कॉम को बताया- "काल भैरव की पूजा तांत्रिक परंपरा से जुड़ी है। जिसमें शराब को पंचमकार तत्वों में से एक माना जाता है। तांत्रिक अनुष्ठानों में शराब का इस्तेमाल सांसारिक बंधनों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। कहा जाता है कि इसके सेवन से शारीरिक और मानसिक संयम पैदा होता है, जिससे साधना में बाधा नहीं आती, इसीलिए इसे चढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।" माना जाता है कि काल भैरव तामसिक प्रकृति के देवता हैं। यही वजह है कि उन्हें शराब चढ़ाई जाती है। यहां शराब चढ़ाना दृढ़ संकल्प और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। वहीं, ऐसी मान्यता है कि विक्रमादित्य के शासनकाल में किसी ने राजा की पूजा को बिगाड़ने के लिए प्रसाद में शराब मिला दी थी। जब यह शराब चढ़ाई गई तो काल भैरव क्रोधित हो गए। इसके बाद राजा विक्रमादित्य ने काल भैरव की विशेष पूजा की जिससे वे प्रसन्न हुए, जिसके बाद से उन्हें शराब चढ़ाई जाने लगी।
चमत्कार भी होते हैं
काल भैरव के मंदिर के बारे में दावा किया जाता है कि यहां चढ़ाई गई शराब मूर्ति द्वारा पी ली जाती है। दावा किया जाता है कि शराब पीने की आवाज भी सुनाई देती है और जिस बर्तन में शराब डाली जाती है वह खाली हो जाता है और शराब कहां जाती है, इसके बारे में आज तक कोई जानकारी नहीं है। महाकाल मंदिर के बारे में कई तरह के रहस्य बताए जाते हैं।

