Shardiya navratri 2024: आज होगी मां चंद्रघंटा की पूजा, वीडियो में देखें इनके जन्म की आलोकिक कथा
राजस्थान न्यूज़ डेस्क !!! नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के 9 रूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। कल पहले दिन भक्तों ने मां दुर्गा के शैलपुरी स्वरूप की धूमधाम से पूजा की. कलश स्थापना की गई। आज दूसरे दिन मां दुर्गा के मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाएगी. मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों को दोगुना फल मिलता है। माँ के एक हाथ में जप माला, तो भाई हाथ में कमंडल सुशोभित होता है। वे सफेद कपड़े पहनते हैं. इन्हें शांति, तपस्या, पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। आइए जानते हैं आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, नियम और महत्व के बारे में ।
कौन हैं मां चंद्रघंटा चंद्रघंटा दुर्गा का तीसरा रूप हैं. इनके दस हाथों में अस्त्र-शस्त्र सजे हुए हैं. इनकी पूजा करने वाला व्यक्ति पराक्रमी और निर्भय हो जाता है. ज्योतिष में इनका संबंध मंगल ग्रह से होता है. इनकी पूजा से व्यक्ति में विनम्रता आती है और उसका तेज बढ़ता है.ये है मां के अवतरण के पीछे की कथा पौराणिक मान्यता है कि धरती पर जब राक्षसों का आतंक बढ़ने लगा तो दैत्यों का नाश करने के लिए मां चंद्रघंटा ने अवतार लिया था. उस समय महिषासुर नाम के दैत्य का देवताओं के साथ युद्ध चल रहा था. महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन हथियाकर स्वर्ग लोक पर राज करना चाहता था.
इसके बाद देवताओं ने भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास पहुंचे. ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों ने देवताओं की बात सुनकर क्रोध प्रकट किया. इन देवतागणों के क्रोध प्रकट करने पर मुख से एक दैवीय ऊर्जा निकली जिसने एक देवी का अवतार लिया. ये देवी मां चंद्रघंटा थीं. इन्हें भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज, दिया. इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध किया था.
ऐसा है मां का स्वरूप नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की उपासना होती है. माता चंद्रघंटा का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है. मां को सुगंधप्रिय है. उनका वाहन सिंह है. उनके दस हाथ हैं. माता के दस हाथ हैं. ये शेर पर विराजमान हैं. चंद्रघंटा अग्नि जैसे वर्ण वाली और ज्ञान से जगमगाने वाली देवी हैं.