श्री गणेश अष्टकम स्तोत्र का पाठ कब और कैसे करें? 3 मिनट के वीडियो में जानिए सही विधि, नियम और शुभ मुहूर्त की सम्पूर्ण जानकारी

श्री गणेश अष्टकम स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली और भक्तिपूर्ण स्तुति है, जो भगवान श्री गणेश को समर्पित है। यह स्तोत्र आठ श्लोकों का संकलन है, जिसमें भगवान गणपति के स्वरूप, गुणों और कृपा का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र न केवल मन को शांति देता है, बल्कि साधक को बाधाओं से मुक्त करके जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्रदान करता है। लेकिन इस स्तोत्र का पाठ करते समय कुछ विशेष विधियाँ, नियम और शुभ मुहूर्त का पालन करना अत्यंत आवश्यक माना गया है।
श्री गणेश अष्टकम स्तोत्र का महत्व
भगवान श्री गणेश को 'विघ्नहर्ता', 'संकटनाशक' और 'बुद्धिप्रदाता' कहा जाता है। किसी भी धार्मिक कार्य, अनुष्ठान या शुभारंभ से पूर्व गणपति पूजन अनिवार्य माना गया है। श्री गणेश अष्टकम स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं, आत्मबल में वृद्धि होती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह स्तोत्र विद्यार्थियों, व्यापारियों, और निर्णय लेने वाले व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से फलदायी माना गया है।
पाठ से पूर्व की शुद्धता और मानसिक तैयारी
शारीरिक और मानसिक शुद्धि: पाठ से पहले स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। मन को एकाग्र करें और किसी प्रकार की चिंता या क्रोध से दूर रहें।
स्थान की शुद्धता: जहां पाठ करना है, वह स्थान शांत, स्वच्छ और सुगंधित होना चाहिए। वहां दीपक और धूप जलाकर सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करें।
पाठ की दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें, क्योंकि ये दिशाएं सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती हैं।
श्री गणेश अष्टकम स्तोत्र की पाठ विधि
भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
एक स्वच्छ चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर श्री गणेशजी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
संकल्प लें
पाठ प्रारंभ करने से पहले मन में संकल्प लें कि आप यह स्तोत्र किस उद्देश्य से पढ़ रहे हैं – जैसे कि मानसिक शांति, कार्य में सफलता, विवाह में बाधा दूर करने, शिक्षा में उन्नति आदि।
पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें
श्री गणेश को रोली, अक्षत, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। उन्हें दूर्वा और लड्डू विशेष रूप से प्रिय हैं, अतः इन्हें अर्पित करना न भूलें।
श्री गणेश अष्टकम स्तोत्र का पाठ करें
अब शुद्ध उच्चारण के साथ स्तोत्र के आठों श्लोकों का पाठ करें। पाठ करते समय भगवान गणेश के स्वरूप का ध्यान करें और श्रद्धा भाव बनाए रखें।
अंत में प्रार्थना करें और आरती करें
पाठ समाप्त होने पर भगवान गणेश की आरती करें और अपनी प्रार्थना निवेदित करें। फिर प्रसाद ग्रहण करें और परिवारजनों को भी वितरित करें।
पाठ के नियम – क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
पाठ करते समय मन और वाणी की शुद्धता बनाए रखें।
स्तोत्र का उच्चारण स्पष्ट और लयबद्ध हो।
श्रद्धा और आस्था के साथ पाठ करें।
मंगलवार, बुधवार, चतुर्थी तिथि, गणेश चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी विशेष फलदायक मानी जाती हैं।
क्या न करें:
पाठ के समय नकारात्मक विचार न रखें।
मोबाइल या अन्य व्यवधानों से दूर रहें।
पाठ अधूरा न छोड़ें। यदि किसी कारणवश बीच में रोकना पड़े, तो अगले दिन संकल्प के साथ पुनः पाठ करें।
शुभ मुहूर्त और उपयुक्त समय
1. ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4 से 6 बजे का समय, जब वातावरण शांत और ऊर्जा सकारात्मक होती है।
2. चतुर्थी तिथि – विशेषकर विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी पर पाठ करने से श्री गणेश की विशेष कृपा मिलती है।
3. मंगलवार और बुधवार – गणपति के प्रिय दिन माने जाते हैं, इस दिन पाठ करना अत्यंत शुभ होता है।
4. किसी नए कार्य के प्रारंभ से पूर्व – जैसे नौकरी में इंटरव्यू, विवाह, परीक्षा, नया व्यापार, मकान प्रवेश आदि अवसरों पर यह पाठ अवश्य करना चाहिए।
श्री गणेश अष्टकम स्तोत्र केवल एक धार्मिक पाठ नहीं है, यह एक आध्यात्मिक साधना है जो साधक को आत्मिक बल, आत्मविश्वास और समृद्धि प्रदान करती है। यदि विधिपूर्वक, श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए इसका पाठ किया जाए, तो जीवन की हर बाधा सरल हो जाती है। यह स्तोत्र श्री गणेशजी के आठ मंगलकारी स्वरूपों का स्तवन है, जिनकी कृपा से जीवन में स्थिरता, सफलता और शांति आती है।