सावन में कौन सी चीजें चढ़ाएं गणपति बप्पा को और किन चीजों से करें परहेज़? वायरल फुटेज में जानिए सम्पूर्ण पूजन विधि
सावन का महीना हिन्दू धर्म में विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। यह मास भगवान शिव की आराधना का होता है, लेकिन इस माह में शिवजी के प्रिय पुत्र भगवान गणेश की पूजा का भी विशेष फल प्राप्त होता है। खासकर सोमवार के दिन शिव परिवार की सामूहिक पूजा की जाती है, जिसमें गणपति बप्पा को भी विशेष स्थान दिया जाता है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि सावन में गणेश जी की पूजा करते समय किन वस्तुओं को अर्पण करना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए, जिससे व्रत, पूजन और उपासना फलदायी हो सके।
गणेश जी को अर्पित करें ये पवित्र वस्तुएं:
दूर्वा (दूब घास):
गणेश जी को दूर्वा अत्यंत प्रिय है। कम से कम 21 दूर्वा की गठरी बनाकर भगवान को अर्पित करें। यह उनकी कृपा पाने का श्रेष्ठ माध्यम माना गया है।
शुद्ध घी और पंचामृत:
गणेश जी का अभिषेक पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, और शक्कर) से करना विशेष फलदायी होता है। यह न केवल आध्यात्मिक शुद्धता देता है बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि भी लाता है।
मोदक और लड्डू:
गणपति बप्पा को मोदक अत्यंत प्रिय है। पूजा के समय उन्हें मोदक या बेसन/बूंदी के लड्डू अर्पण करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सिंदूर और चंदन:
सिंदूर से भगवान गणेश को तिलक करना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह मंगल का प्रतीक है। साथ ही चंदन से शीतलता और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
माला और फूल:
गणेश जी को लाल फूल विशेष प्रिय होते हैं। इसके साथ ही गेंदे और जूही के फूल भी अर्पण किए जा सकते हैं। पूजा में साफ-सुथरे फूलों का उपयोग ही करें।
पान और सुपारी:
गणपति पूजन में पान और सुपारी का विशेष महत्व है। यह शुभता और सम्मान का प्रतीक माने जाते हैं।
इन चीजों से करें परहेज़:
तुलसी पत्र:
गणेश जी को तुलसी पत्र अर्पित नहीं करना चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी ने गणेश जी को विवाह का प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया था। इसके कारण तुलसी पत्र अर्पण वर्जित है।
केला और सफेद फूल:
गणेश जी की पूजा में केले का फल और सफेद फूल नहीं चढ़ाए जाते। इनका संबंध दूसरे देवी-देवताओं से माना गया है।
तामसिक भोजन का भोग:
प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा जैसे तामसिक वस्तुएं पूजा के समय और बाद में सेवन से बचना चाहिए। इससे पूजा का पुण्य घटता है।
कटी-फटी दूर्वा:
खराब या टूटी-फूटी दूर्वा कभी भी गणेश जी को न चढ़ाएं। इससे अशुभ फल प्राप्त हो सकते हैं।
पुरानी या मुरझाई हुई माला:
मुरझाए फूलों से बनी माला या पुराने फूल भगवान को अर्पण करना वर्जित है। यह भक्त की लापरवाही दर्शाता है।
सावन में क्यों विशेष होती है गणेश पूजा?
सावन माह को देवताओं के जाग्रत काल के रूप में माना जाता है। शिवजी की कृपा प्राप्त करने के लिए उनके प्रिय पुत्र गणेश की पूजा करना आवश्यक होता है, क्योंकि श्री गणेश को 'विघ्नहर्ता' कहा जाता है। वे हर कार्य में प्रथम पूज्य हैं। ऐसे में यदि सावन के सोमवार को शिवजी के साथ गणेश जी का विधिवत पूजन किया जाए, तो यह व्रत और पूजा कई गुना फलदायी हो जाती है।

