श्री भगवती स्तोत्रम् का जाप करते समय किन बातों का रखें ध्यान? 2 मिनट के इस शानदार वीडियो में जानिए क्या करें और क्या नहीं

भारतवर्ष की सनातन परंपरा में स्तोत्रों का विशेष स्थान है। देवी-उपासना में विशेषतः भगवती स्तोत्रम् का जाप अत्यंत शक्तिशाली और फलदायी माना गया है। यह स्तोत्र देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की स्तुति करता है और साधक को भय, रोग, शोक, क्लेश, मानसिक तनाव और दैहिक संकटों से मुक्त करता है। लेकिन, जैसा कि किसी भी दिव्य साधना के साथ होता है, श्री भगवती स्तोत्रम् के जाप के लिए कुछ नियम, विधियाँ और सावधानियां भी होती हैं जिन्हें जानना अत्यंत आवश्यक है।इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि श्री भगवती स्तोत्रम् का जाप करते समय किन बातों का पालन करना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए, ताकि जाप का पूर्ण फल मिल सके और देवी की कृपा प्राप्त हो।
श्री भगवती स्तोत्रम् का जाप करते समय क्या करें?
1. शुद्ध और पवित्र वातावरण में जाप करें
जाप करने से पहले स्वयं स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें और शांत, स्वच्छ स्थान पर बैठकर स्तोत्र का पाठ करें। घर का पूजाघर या मंदिर इसके लिए उत्तम स्थान होता है।
2. नियत समय पर जाप करना श्रेष्ठ
प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त (4 से 6 बजे के बीच) भगवती स्तोत्रम् के पाठ के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यदि यह संभव न हो, तो सूर्यास्त से पूर्व शाम को भी किया जा सकता है। नियमित समय पर जाप करने से मानसिक अनुशासन और ऊर्जा बनी रहती है।
3. आसन और मुद्रा का रखें ध्यान
कुश, ऊन या लकड़ी के आसन पर बैठकर, पद्मासन या सुखासन में जाप करें। इससे शरीर स्थिर रहता है और ऊर्जा का क्षरण नहीं होता।
4. संकल्प लेकर जाप करें
जाप से पूर्व भगवती के चरणों में मन से संकल्प लें कि आप यह स्तोत्र किस उद्देश्य से कर रहे हैं – मानसिक शांति, संकट से मुक्ति, स्वास्थ्य लाभ, या आत्मिक उन्नति।
5. सही उच्चारण करें
श्री भगवती स्तोत्रम् संस्कृत में है। यदि आप संस्कृत नहीं जानते, तो पहले इसके सही उच्चारण का अभ्यास करें या रिकॉर्डिंग से सुनें। गलत उच्चारण से अर्थ बदल सकता है।
6. ध्यान और भावना से करें जाप
यह केवल शब्दों का पाठ नहीं है। देवी की मूर्ति, चित्र या मानसिक छवि के सामने बैठकर उनके स्वरूप का ध्यान करें। सच्ची श्रद्धा और भक्ति के बिना कोई भी साधना अधूरी मानी जाती है।
7. नियमितता बनाए रखें
जाप को जीवन का हिस्सा बनाएं। प्रतिदिन भगवती स्तोत्रम् का एक बार पाठ भी आपको मानसिक रूप से मज़बूत और ऊर्जावान बनाएगा।
8. शाकाहारी और सात्विक आहार लें
स्त्रियों व पुरुषों दोनों के लिए जाप के दिनों में तामसिक भोजन (मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज आदि) से परहेज करना आवश्यक है।
9. मंत्र के बाद करें आरती और प्रार्थना
भगवती स्तोत्रम् के जाप के बाद माँ की आरती करें और शांत मन से प्रार्थना करें कि देवी आपकी साधना को स्वीकार करें।
10. जरूरतमंदों को अन्न या वस्त्र दान करें
देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए जाप के साथ सेवा और दान का सामंजस्य भी जरूरी है। इससे साधना अधिक प्रभावशाली बनती है।
श्री भगवती स्तोत्रम् जाप करते समय क्या न करें?
1. गंदे या अशुद्ध वस्त्र न पहनें
जाप के समय शरीर और वस्त्र दोनों की शुद्धता अत्यंत आवश्यक है। गंदे कपड़ों में की गई साधना निष्फल हो सकती है।
2. मन को चंचल न होने दें
जाप के दौरान मोबाइल, टीवी या अन्य विघ्न डालने वाले उपकरणों से दूरी बनाए रखें। यह समय पूर्ण एकाग्रता और समर्पण का होता है।
3. भोजन के तुरंत बाद जाप न करें
भोजन के तुरंत बाद जाप करना शरीर और मन दोनों के लिए उचित नहीं होता। कम से कम 1 घंटे का अंतर रखें।
4. क्रोध, ईर्ष्या या नकारात्मक भावों के साथ जाप न करें
जाप करने से पहले अपने मन को शांत करें। देवी की साधना के लिए निर्मल और करुणामयी हृदय आवश्यक होता है।
5. रोग या मासिक धर्म की अवस्था में स्त्रियाँ जाप न करें
कुछ परंपराओं में ऐसा माना जाता है कि मासिक धर्म या रोगग्रस्त अवस्था में जाप स्थगित करना चाहिए। यह पूरी तरह व्यक्तिगत आस्था पर निर्भर करता है।
6. मंत्र की संख्या को अनदेखा न करें
यदि आपने संकल्प लिया है कि आप प्रतिदिन एक माला या विशेष संख्या में जाप करेंगे, तो उसे अनदेखा न करें।
7. देवी की मूर्ति या चित्र की ओर पीठ न करें
जाप के समय सदैव देवी की ओर मुख करके बैठें। पीठ करके जाप करना अपमान माना जाता है।
8. जाप के बीच बार-बार उठना न करें
जाप एक साधना है, इसे पूरा सम्मान दें। बीच में उठने या बात करने से साधना का प्रभाव कम होता है।
9. पाठ को जल्दबाज़ी में न करें
भगवती स्तोत्रम् को तेज़ गति से, केवल संख्या पूरी करने के उद्देश्य से न पढ़ें। हर श्लोक में भाव और श्रद्धा ज़रूरी है।
10. देवी के नाम का अपमान या उपहास न करें
देवी उपासना अत्यंत संवेदनशील होती है। किसी भी प्रकार का अपवित्र व्यवहार, अपमानजनक सोच या हल्कापन जाप की शक्ति को नष्ट कर सकता है।
श्री भगवती स्तोत्रम् न केवल एक स्तुति है, बल्कि एक दिव्य ऊर्जा का माध्यम है जो साधक को संकटों से मुक्त करके आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर करता है। यदि श्रद्धा, नियम और अनुशासन से इसका जाप किया जाए, तो यह माँ की कृपा प्राप्त करने का अचूक साधन बन सकता है। सही विधि से किया गया जाप जीवन को रोगमुक्त, भयमुक्त और क्लेशमुक्त बना सकता है।इसलिए, यदि आप देवी दुर्गा की कृपा चाहते हैं, तो इस दिव्य स्तोत्र का सम्मानपूर्वक जाप करें और नकारात्मकता से दूर रहें। माँ की शक्ति सदा आपके साथ हो।