क्या है गुप्त नवरात्रि? जानें कब होती हैं ये रहस्यमयी नवरात्रे, 3 मिनट के वीडियो में जानिए तांत्रिक महत्व, पूजा विधि और चमत्कारी लाभ

भारतवर्ष में नवरात्रि का पर्व अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। वर्ष में दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्रि सर्वसामान्य रूप से मनाई जाती हैं, लेकिन इसके अतिरिक्त दो और नवरात्रियाँ होती हैं जिन्हें "गुप्त नवरात्रि" कहा जाता है। इनका आयोजन माघ और आषाढ़ महीने में होता है। यह नवरात्रियाँ तंत्र साधना, गुप्त उपासना और विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती हैं। इन्हें आम लोगों से थोड़ा हटकर साधक वर्ग और सिद्ध पुरुष अधिक महत्व देते हैं।
क्या होती है गुप्त नवरात्रि?
गुप्त नवरात्रि वह विशेष समय होता है जब शक्ति उपासना और तांत्रिक साधनाओं को विशेष रूप से प्रभावकारी माना जाता है। गुप्त नवरात्रियाँ दो बार आती हैं — माघ शुक्ल पक्ष और आषाढ़ शुक्ल पक्ष में। इन नवरात्रियों का नाम “गुप्त” इसलिए रखा गया क्योंकि इनकी पूजा-पद्धति, उद्देश्य और अनुष्ठान आम नवरात्रियों से भिन्न होते हैं और इन्हें गुप्त रूप से, एकांत में किया जाता है।जहां चैत्र और शारदीय नवरात्रियाँ सार्वजनिक पूजन और गरबा जैसे आयोजनों से जुड़ी होती हैं, वहीं गुप्त नवरात्रि में साधक चुपचाप, एकांत में देवी की विशेष रूप से दस महाविद्याओं की साधना करते हैं।
गुप्त नवरात्रि का धार्मिक महत्त्व
गुप्त नवरात्रि का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व अत्यंत गूढ़ और गहरा है। इन दिनों में तांत्रिक साधनाएं, मंत्र सिद्धियां और विशेष रूप से दश महाविद्याओं की आराधना की जाती है। दस महाविद्याएं — काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला — देवी के ऐसे रूप हैं जो साधक को अध्यात्म के गहन स्तर तक पहुंचाते हैं।मान्यता है कि इन नवरात्रियों में किए गए जाप, अनुष्ठान और होम अत्यंत फलदायी होते हैं। जो साधक इन नौ दिनों में पूर्ण श्रद्धा से पूजा करते हैं, उन्हें सिद्धि, आत्मबल, मानसिक शांति और सांसारिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
तांत्रिक साधना का सर्वोच्च काल
गुप्त नवरात्रि को तांत्रिक साधकों के लिए अत्यंत शुभ काल माना गया है। इस दौरान साधक विशेष तांत्रिक अनुष्ठान करते हैं — जैसे अघोर साधना, यंत्र-सिद्धि, कवच सिद्धि, और देवी मंत्रों की सिद्धि। यह समय साधना की सफलता की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील होता है, इसलिए साधक गुप्त रूप से एकांत स्थान पर ध्यान, जाप और हवन करते हैं।
आम जीवन में भी है इसका प्रभाव
हालांकि गुप्त नवरात्रि को तांत्रिक और गुप्त साधनाओं से जोड़ा जाता है, परंतु आम श्रद्धालुओं के लिए भी यह अत्यंत शुभ समय होता है। यदि कोई साधारण भक्त भी इन नौ दिनों में व्रत रखकर, दुर्गा सप्तशती का पाठ, महामृत्युंजय जाप या देवी कवच का पाठ करे, तो उसे अद्भुत मानसिक शक्ति और आत्मबल की प्राप्ति होती है। रोग, भय, बाधाएं और शत्रुओं से सुरक्षा हेतु यह काल अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।
देवी को प्रसन्न करने का विशेष समय
गुप्त नवरात्रि में शक्ति की उपासना विशेष रूप से फलदायी होती है। देवी को प्रसन्न करने हेतु यह सबसे श्रेष्ठ समय होता है। भक्ति भाव से किए गए पूजन से देवी कृपा बरसाती हैं। यह काल उन लोगों के लिए वरदान स्वरूप होता है जो जीवन में किसी गंभीर संकट से गुजर रहे हैं या जिनके जीवन में बार-बार रुकावटें आ रही हैं।