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वीडियो मेजनिये कौन-कौन सी है हनुमान जी की अष्ट सिद्धियां और नौ निधियां, और बजरंगबली को कैसे हुई इनकी प्राप्ति 

वीडियो मेजनिये कौन-कौन सी है हनुमान जी की अष्ट सिद्धियां और नौ निधियां, और बजरंगबली को कैसे हुई इनकी प्राप्ति 

राम भक्त हनुमान उन 8 चिरंजीवियों में से एक हैं जिन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी सच्चे मन से उनकी पूजा करने वाले भक्तों का जीवन दुखों से मुक्त कर देते हैं। हनुमान चालीसा के साथ-साथ अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी इस बात का उल्लेख है कि हनुमान जी की पूजा करने से आठ प्रकार की सिद्धियां और नौ प्रकार की निधियां पूरी होती हैं। उन्हें यह वरदान माता जानकी से मिला था। आइए जानते हैं अष्ट सिद्धि और नौ निधि क्या हैं।


हनुमान चालीसा में भी इसका उल्लेख है
हनुमान चालीसा में लिखी एक पंक्ति के अनुसार हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नौ निधि का दाता कहा गया है। उन्हें इसका वरदान माता जानकी से मिला था। इसके अलावा मार्कंडेय पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी अष्ट सिद्धियों का उल्लेख किया गया है। जो इस प्रकार हैं-

अष्ट सिद्धियां -
अणिमा - यानी हनुमान जी जब चाहें अत्यंत सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं।
महिमा - इस सिद्धि के बल पर हनुमान जी कोई भी विशाल रूप धारण कर सकते हैं।
गरिमा - इस सिद्धि की सहायता से हनुमान जी अपना वजन किसी भी सीमा तक बढ़ा सकते हैं।
लघिमा - इस सिद्धि के अंतर्गत हनुमान जी अपना वजन जितना चाहें उतना घटा सकते हैं।
प्राप्ति - हनुमान जी किसी भी वस्तु को तुरन्त प्राप्त कर सकते हैं।
प्राकाम्य - इस सिद्धि के बल पर हनुमान जी इच्छित वस्तु को प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं।
ईशित्व - हनुमान जी में दैवीय शक्तियाँ हैं।

वशित्व - हनुमान जी आत्मसंयमी हैं और अपने मन पर उनका पूर्ण नियंत्रण है।

नौ निधियाँ कौन-सी हैं?
पद्म निधि - इस निधि से संपन्न व्यक्ति सात्विक होता है। वह सोने-चाँदी के रत्नों से भी संपन्न होता है और उदारतापूर्वक दान करता है।
महापद्म निधि - महाप निधि से संपन्न व्यक्ति भी सात्विक और दानशील होता है।
नील निधि - इस निधि में व्यक्ति में सत्व और रज दोनों गुण मिश्रित होते हैं। उसका धन तीन पीढ़ियों तक रहता है।
मुकुंद निधि - इस निधि में मनुष्य रजोगुण से संपन्न होता है, इसलिए इसे राजसी स्वभाव वाली निधि कहा जाता है। इसमें मनुष्य राज्य संचय में लगा रहता है।
नंद निधि - नंद निधि रज और तमगुण का मिश्रण है। इसमें साधक को लंबी आयु और निरंतर उन्नति मिलती है।
मकर निधि - मकर निधि से संपन्न व्यक्ति शस्त्रों का संग्रह करने वाला और अपने शत्रुओं पर विजय पाने वाला होता है।
कच्छप निधि - कच्छप निधि से संपन्न व्यक्ति तामस गुण वाला होता है। वह अपने धन का स्वयं उपभोग करता है।
शंख निधि - यह निधि एक पीढ़ी के लिए ही होती है।
खर्व निधि - इस निधि से संपन्न व्यक्ति अन्य 8 निधियों का मिश्रण होता है। इसलिए खर्व निधि वाले व्यक्ति में मिश्रित परिणाम देखने को मिलते हैं।

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