वीडियो में देखे राजस्थान में माता के 5 शक्तिशाली मंदिर, जहाँ केवल दर्शन मात्र से पूर्ण होती है हर मनोकामना मिलती है आध्यात्मिक शांति

राजस्थान में कई चमत्कारी मंदिर हैं, जिनके दर्शन मात्र से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अगर आप भी चैत्र नवरात्रि में माता के दर्शन करने की सोच रहे हैं तो इन 5 मंदिरों में दर्शन करने से आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।
ईडाणा माता: उदयपुर शहर से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चमत्कारी ईडाणा माता मंदिर में माता स्वयं अग्नि स्नान करती हैं। जिसकी लपटें 10-20 फीट की ऊंचाई तक जाती हैं। इसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचते हैं। इन्हें मेवाड़ क्षेत्र की आराध्या मां कहा जाता है।
जीण माता मंदिर: सीकर जिले में स्थित जीण माता मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि औरंगजेब इस मंदिर के चमत्कार से इतना प्रभावित हुआ कि उसने मंदिर में अखंड ज्योति शुरू कर दी और दिल्ली दरबार से इसका तेल भेजना शुरू कर दिया। तब से लेकर आज तक जीण माता मंदिर में वही ज्योति निरंतर जल रही है। जब औरंगजेब की सेना ने मंदिर पर आक्रमण किया तो माता ने रक्षा करते हुए औरंगजेब की सेना पर मधुमक्खियों की विशाल सेना छोड़ दी। जिससे सैनिक लहूलुहान होकर भाग गए। इसीलिए इन्हें मधुमक्खियों की देवी भी कहा जाता है और यहां प्रसाद के रूप में मदिरा चढ़ाई जाती है।
श्री कैला देवी मंदिर: करौली में स्थित कैला देवी मंदिर 1000 वर्ष से भी अधिक पुराना है। इसे उत्तर भारत का प्रमुख तीर्थ स्थल कहा जाता है। यहां कालीसिल नदी में स्नान करने और माता के दर्शन करने से कई प्रकार की बीमारियां ठीक हो जाती हैं। यहां हर साल लखमी मेला भी लगता है। इस प्राचीन मंदिर में चांदी के आसन पर सोने की छतरियों के नीचे 2 मूर्तियां विराजमान हैं।
करणी माता मंदिर: बीकानेर राजघराने की कुलदेवी करणी माता का चमत्कारी मंदिर बीकानेर शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित है। जिसे चूहों वाला मंदिर भी कहा जाता है। यहां हजारों की संख्या में काले और सफेद चूहे हैं। यहां सफेद चूहों का दिखना शुभ माना जाता है।
शाकम्भरी माता मंदिर: चौहान वंश की कुलदेवी की मूर्ति के प्रकट होने के बारे में एक कथा प्रचलित है। भागवत पुराण के अनुसार जब धरती पर दैत्यों के प्रभाव से अकाल पड़ा तो देवताओं और मनुष्यों ने देवी की आराधना की और आदि शक्ति ने दिव्य तेज से बंजर भूमि में सब्जियां उत्पन्न की और उन्हें खाकर सभी ने अपनी भूख मिटाई। तब मां शाकम्भरी की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई।