सिर्फ 1 मिनिट के वीडियो में देखें शरद पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त से चांद में खीर रखने तक सबकुछ
शरद पूर्णिमा हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पूरे साल भर में 12 पूर्णिमा तिथियां होती हैं, जिसमें शरद पूर्णिमा को विशेष माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा और कोजागर पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं. शरद पूर्णिमा वाले दिन चंद्रमा 16 कलाओं से पूर्ण होता है. अन्य दिनों के मुकाबले इस दिन चांदनी सबसे तेज प्रकाश वाली होती है. इस लेख में जानते हैं कि किस तारीख को शरद पूर्णिमा है और इसका शुभ-मुहूर्त और महत्व क्या है....
पूर्णिमा व्रत रखने का विधान
इस पूर्णिमा पर व्रत रखने का विधान है. आपको बता दें कि शरद पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. साथ ही अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर चंद्रदेव की भी उपासना की जाती है.
कब है शरद पूर्णिमा 2024
इस बार शरद पूर्णिमा 16 अक्तूबर 2024 को है.
शरद पूर्णिमा 2024 शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार,अश्विन शुक्ल पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर बुधवार की रात 8 बजकर 40 मिनट से शुरू होगी. यह तिथि अगले दिन 17 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 55 मिनट तक मान्य रहेगी. ऐसे में शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर बुधवार को मनाया जाएगा.
कोजागार और रास पूर्णिमा
ऐसा कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को माता लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं, जिसे कोजागर पूर्णिमा के नाम से जानते हैं. इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को खुले आसमान के नीचे खीर रखी जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत गिरता है. शरद पूर्णिमा की रात भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग महारास रचाया था, इसलिए इसे रास पूर्णिमा कहते हैं.
शरद पूर्णिमा पर चंद्र दर्शन का समय
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है. इस दिन चंद्रोदय (chandrouday) शाम 5 बजकर 04 मिनट पर होगा.
शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त
16 अक्टूबर को रात 11 बजकर 42 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा.
शरद पूर्णिमा महत्व
धर्म शास्त्रों के अनुसार,शरद पूर्णिमा पर ही देवी लक्ष्मी का समुद्र मंथन से आगमन हुआ था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी धरतीलोक पर भ्रमण करती हैं. ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा वाले दिन चंद्रमा (chandrama) अन्य दिनों के मुकाबले ज्यादा प्रकाशवान होता है. कहते तो यह भी हैं कि शरद पूर्णिमा के दिन रावण दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि पर चंद्रमा की रोशनी को ग्रहण करता था, जिससे उसे पुनर्योवन शक्ति प्राप्त होती थी. मान्यता है कि इस दिन जो धन की देवी की पूजा करता है, उसके ऊपर मां लक्ष्मी कृपा बरसती है.