आर्थिक संकट से हैं परेशान? शुक्रवार को करें मां लक्ष्मी की अराधना, वायरल वीडियो में जानिए पूजा की सही विधि और सामग्री

वैदिक पंचांग के अनुसार 23 मई, शुक्रवार को अपरा एकादशी है। शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी को बहुत प्रिय है। इस शुभ अवसर पर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाएगी। साथ ही वैभव लक्ष्मी और एकादशी व्रत भी रखा जाएगा। इस व्रत को करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही साधक पर लक्ष्मी नारायण की कृपा बरसती है। इसके अलावा जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अगर आप भी जगत के पालनहार भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं तो शुक्रवार के दिन इस विधि से माता लक्ष्मी की पूजा करें।
लक्ष्मी पूजन विधि
शुक्रवार के दिन सूर्योदय से पहले उठें। इस समय लक्ष्मी नारायण का ध्यान करके दिन की शुरुआत करें। घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर गंगाजल युक्त जल से स्नान करें। इसके बाद अर्घ्य दें और पीले या लाल वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। अब पूजा कक्ष में एक चौकी पर लक्ष्मी नारायण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके बाद मां लक्ष्मी को लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं। अब पंचोपचार करें और देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करें। देवी लक्ष्मी को फल, फूल, नारियल, चावल की खीर का भोग लगाएं। पूजा के दौरान लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें और मंत्रों का जाप करें। अंत में लक्ष्मी नारायण की आरती करें।
मां लक्ष्मी ध्यान
सिन्दूरारुणकान्तिमब्जवसतिं सौन्दर्यवारांनिधिं,
कॊटीराङ्गदहारकुण्डलकटीसूत्रादिभिर्भूषिताम् ।
हस्ताब्जैर्वसुपत्रमब्जयुगलादर्शंवहन्तीं परां,
आवीतां परिवारिकाभिरनिशं ध्याये प्रियां शार्ङ्गिणः ॥
भूयात् भूयो द्विपद्माभयवरदकरा तप्तकार्तस्वराभा,
रत्नौघाबद्धमौलिर्विमलतरदुकूलार्तवालेपनाढ्या ।
नाना कल्पाभिरामा स्मितमधुरमुखी सर्वगीर्वाणवनद्या,
पद्माक्षी पद्मनाभोरसिकृतवसतिः पद्मगा श्री श्रिये वः ॥
वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां,
हस्ताभ्यामभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम् ।
भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहरब्रह्मादिभिस्सेवितां,
पार्श्वे पङ्कजशङ्खपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः ॥
॥ श्री लक्ष्मीनारायण आरती ॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।जय लक्ष्मीनारायण,
जय लक्ष्मी-विष्णो।जय माधव, जय श्रीपति,
जय, जय, जय विष्णो॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
जय चम्पा सम-वर्णेजय नीरदकान्ते।
जय मन्द स्मित-शोभेजय अदभुत शान्ते॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
कमल वराभय-हस्तेशङ्खादिकधारिन्।
जय कमलालयवासिनिगरुडासनचारिन्॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
सच्चिन्मयकरचरणेसच्चिन्मयमूर्ते।
दिव्यानन्द-विलासिनिजय सुखमयमूर्ते॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
तुम त्रिभुवन की माता,तुम सबके त्राता।
तुम लोक-त्रय-जननी,तुम सबके धाता॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
तुम धन जन सुखसन्तित जय देनेवाली।
परमानन्द बिधातातुम हो वनमाली॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
तुम हो सुमति घरों में,तुम सबके स्वामी।
चेतन और अचेतनके अन्तर्यामी॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
शरणागत हूँ मुझ परकृपा करो माता।
जय लक्ष्मी-नारायणनव-मन्गल दाता॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।