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सिर्फ रक्षाबंधन पर खुलता है भगवान विष्णु का यह अलौकिक मंदिर और जान जोखिम में डाल दर्शन करने पहुँचते है भक्त, जाने क्या है रहस्य 

सिर्फ रक्षाबंधन पर खुलता है भगवान विष्णु का यह अलौकिक मंदिर और जान जोखिम में डाल दर्शन करने पहुँचते है भक्त, जाने क्या है रहस्य 

भारत में हर त्यौहार का अपना महत्व है। फिर चाहे वो होली हो या दिवाली। इस समय पूरे देश में रक्षाबंधन के त्यौहार की धूम है। 30 अगस्त को मनाए जाने वाले त्यौहार को लेकर बाजारों में रौनक बढ़ने लगी है। लोग इसके जश्न की तैयारियों में जुट गए हैं। वैसे आपको बता दें कि त्यौहारों के साथ धार्मिक स्थलों का भी नाता होता है। भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जिनकी अपनी अलग कहानी या मान्यता है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताएंगे जो सिर्फ रक्षाबंधन के दिन ही खुलता है। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित वंशीनारायण मंदिर की जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इसीलिए इसे वंशीनारायण मंदिर कहा जाता है। 

इस मंदिर तक जाने का रास्ता काफी कठिन है। इसके लिए चमोली घाटी में उर्गम घाटी जाना पड़ता है। मंदिर में जगत पिता नारायण के अलावा भगवान शिव, गणेश और वन देवी की मूर्तियां भी स्थापित हैं। मान्यता है कि वंशीनारायण मंदिर के कपाट साल भर बंद रहते हैं और सिर्फ राखी के दिन ही खोले जाते हैं। रक्षाबंधन के दिन स्थानीय लोग मंदिर की साफ-सफाई कर पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि स्थानीय लोग मंदिर में ही राखी मनाते हैं। हालांकि राखी मनाने से पहले लोग मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने राजा बलि के अहंकार को चूर करने के लिए वामन अवतार लिया था। उस समय राजा बलि ने भगवान विष्णु से उन्हें अपना द्वारपाल बनाने का वचन मांगा था। दूसरी ओर माता लक्ष्मी नारायण को वापस लाना चाहती थीं और इसलिए नारद मुनि ने उन्हें राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधने का उपाय बताया था। माता के दुर्गम घाटी में यहां रहने के बाद से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा। ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान विष्णु के वामन अवतार को यहीं मोक्ष मिला था। लोग मंदिर के पास प्रसाद बनाते हैं, जिसके लिए हर घर से मक्खन आता है। प्रसाद तैयार होने के बाद इसे भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है।

आपको बता दें कि वंशीनारायण मंदिर उर्गम गांव से 12 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए कुछ किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ता है। अगर आप ट्रेन से यहां जाना चाहते हैं तो आपको हरिद्वार ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा। ऋषिकेश से जोशीमठ की दूरी करीब 225 किलोमीटर है। जोशीमठ से घाटी 10 किलोमीटर दूर है और यहां से आप उर्गम गांव पहुंच सकते हैं। जहां से आपको मंदिर तक पैदल यात्रा करनी होगी।

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