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इस जगह मां दुर्गा ने किया था महिषासुर का संहार, वायरल फुटेज में जाने उस शक्तिपीठ का रहस्य जहां कदम-कदम पर मिलती है आस्था की परीक्षा

इस जगह मां दुर्गा ने किया था महिषासुर का संहार, वायरल फुटेज में जाने उस शक्तिपीठ का रहस्य जहां कदम-कदम पर मिलती है आस्था की परीक्षा

मां दुर्गा के भक्त उनके अनेक स्वरूपों के दर्शन करने के लिए अनेक अलग-अलग मंदिरों में जाना चाहते हैं। इनमें से प्रत्येक मंदिर की एक अलग कहानी और महत्व है। आज हम आपको महाराष्ट्र के एक ऐसे प्राचीन मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कई अद्भुत रहस्यों के लिए जाना जाता है। मां दुर्गा का एक प्राचीन मंदिर महाराष्ट्र में है, जहां मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। आइए, जानते हैं मां दुर्गा के इस प्राचीन मंदिर की खास बातें।


महाराष्ट्र के नासिक में है सप्तश्रृंगी देवी मंदिर

महाराष्ट्र में सप्तश्रृंगी पर्वत है, जिसकी ऊंचाई 4800 फीट ऊंची है। इस पर्वत पर मां भवानी का एक अद्भुत मंदिर है। इसे सप्तश्रृंगी देवी के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर महाराष्ट्र राज्य के नासिक से 65 किलोमीटर दूर वाणी गांव में स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 108 शक्तिपीठों में से साढ़े तीन शक्तिपीठ महाराष्ट्र में स्थित हैं। आपको बता दें कि आदि शक्ति स्वरूपा सप्तश्रृंगी देवी को अर्धशक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मां भगवती के दर्शन के लिए भक्तों को पहाड़ी तक पहुंचने के लिए 472 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। अब ऐसे में जाहिर सी बात है कि ऐसी पहाड़ी पर स्थित मंदिर तक सिर्फ वही भक्त पहुंच सकता है जिसके मन में सच्ची श्रद्धा और दृढ़ इच्छाशक्ति हो।

मां भगवती अपने चेहरे के भाव बदलती रहती हैं
इस मंदिर में स्थित मां भगवती के बारे में कहा जाता है कि मां समय-समय पर अपने चेहरे के भाव बदलती रहती हैं। चैत्र नवरात्रि में मां भगवती प्रसन्न मुद्रा में नजर आती हैं, जबकि आश्विन नवरात्रि में वे बेहद गंभीर मुद्रा में नजर आती हैं। भक्तों का मानना ​​है कि आश्विन नवरात्रि में मां दुर्गा पापियों का नाश करने के लिए अलग-अलग रूपों में धरती पर आती हैं।

सात पहाड़ों से घिरा है मां सप्तश्रृंगी देवी का मंदिर
सप्तश्रृंगी पर्वत पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 472 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। देवी का यह मंदिर सात पहाड़ों से घिरा हुआ है, इसलिए यहां की देवी को सप्तश्रृंगी यानी सात पहाड़ों की देवी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि माता इन सात पर्वतों पर होने वाली गतिविधियों पर पूरी नजर रखती हैं, इसलिए मां भगवती को सात पर्वतों की देवी भी कहा जाता है। मंदिर में 108 जल कुंड भी हैं।

महिषासुर के कटे सिर की होती है पूजा
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस मंदिर में महिषासुर की भी पूजा होती है। सप्तश्रृंगी मंदिर की सीढ़ियों के बाईं ओर महिषासुर का एक छोटा सा मंदिर भी है, जहां जाते समय माता के भक्त महिषासुर के दर्शन भी करते हैं। मां दुर्गा ने इसी स्थान पर महिषासुर का वध किया था, इसलिए यहां महिषासुर के कटे सिर की भी पूजा की जाती है। मां ने त्रिशूल से महिषासुर का वध किया था, जिससे पहाड़ी पर एक बड़ा छेद बन गया था। यह छेद आज भी यहां देखा जा सकता है।

सप्तश्रृंगी देवी मंदिर कैसे पहुंचें
अगर आप 472 सीढ़ियां चढ़ने का साहस रखते हैं, तो आप सप्तश्रृंगी देवी मंदिर जाकर मां दुर्गा के दर्शन कर सकते हैं। सप्तश्रृंगी देवी मंदिर तक पहुँचने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन नासिक है। सप्तश्रृंगी देवी मंदिर नासिक से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नासिक पहुँचने के बाद आप कैब, टैक्सी या निजी वाहन से यहाँ पहुँच सकते हैं लेकिन आपको पैदल ही पहाड़ी चढ़नी होगी।

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