विघ्नहर्ता गणपति के इस स्तोत्र से दूर होंगी बीमारियां और घर में कभी नहीं होगी धनकी कमी, वीडियो फुटेज में जाने ये चमत्कारी उपाय

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, शुभ-लाभ और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। किसी भी शुभ कार्य से पहले गणपति का स्मरण करना भारतीय परंपरा का अनिवार्य हिस्सा है। ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश की आराधना से न केवल कार्यों में सफलता प्राप्त होती है, बल्कि व्यक्ति को शारीरिक रोगों से मुक्ति और आर्थिक समस्याओं से राहत भी मिलती है। खासकर "गणेशाष्टकम स्तोत्र" का नियमित पाठ भक्तों को रोगमुक्ति और धनलाभ का मार्ग प्रदान करता है।
क्या है गणेशाष्टकम स्तोत्र?
गणेशाष्टकम स्तोत्र एक प्राचीन संस्कृत स्तुति है, जो भगवान गणेश के आठ रूपों की स्तुति करती है। यह स्तोत्र शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। इसका पाठ करने से साधक को आध्यात्मिक बल मिलता है और जीवन में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं। इसके शब्दों में वह शक्ति है जो नकारात्मकता को दूर करके सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
रोगमुक्ति के लिए गणेशाष्टकम का पाठ कैसे करें?
अगर आप लंबे समय से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं या बार-बार बीमार पड़ते हैं, तो सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप जलाकर "गणेशाष्टकम स्तोत्र" का पाठ करें। विशेष रूप से मंगलवार और बुधवार को इसका पाठ करना बेहद फलदायी माना गया है।
पाठ के दौरान अगर आप "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप भी करें तो इसका प्रभाव और भी अधिक बढ़ जाता है। इसके अलावा, भगवान गणेश को दूर्वा, शमीपत्र और लाल फूल अर्पित करने से आरोग्यता में विशेष लाभ होता है।
धनलाभ के लिए अपनाएं ये उपाय
गणेशाष्टकम स्तोत्र का पाठ धनलाभ में भी सहायक माना गया है। यदि आप आर्थिक समस्याओं से परेशान हैं या कारोबार में बार-बार रुकावटें आ रही हैं, तो इन उपायों को जरूर अपनाएं:
लाल चंदन से तिलक करें: बुधवार के दिन लाल चंदन से माथे पर तिलक करें और "गणेशाष्टकम" का पाठ करें। इससे लक्ष्मीजी की कृपा भी प्राप्त होती है।
मोदक का भोग लगाएं: भगवान गणेश को मोदक अति प्रिय हैं। रोज़ाना गणेशजी को मोदक या गुड़-धनिए का भोग लगाकर स्तोत्र का पाठ करने से आर्थिक स्थिरता आती है।
11 दूर्वा अर्पित करें: हर बुधवार को गणेशजी को 11 दूर्वा अर्पित करें। दूर्वा गणेशजी को अत्यंत प्रिय है और इसे अर्पित करने से धन संबंधी रुकावटें दूर होती हैं।
पीले वस्त्र पहनें: बुधवार को पीले या हरे वस्त्र पहनकर गणेशजी का पूजन करने से बौद्धिक क्षमता बढ़ती है और धन-समृद्धि में भी वृद्धि होती है।
कुबेर मंत्र का संयोजन करें: "गणेशाष्टकम" का पाठ करते समय कुबेर मंत्र — "ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्याधिपतये धन-धान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा" — का जाप करने से दोगुना फल प्राप्त होता है।
विशेष सुझाव
पाठ के समय मन और वाणी को शुद्ध रखें।
स्तोत्र का अर्थ समझकर पाठ करने से उसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।
संकल्प लेकर कम से कम 21 दिन तक नियमित पाठ करें।
"गणेशाष्टकम स्तोत्र" एक दिव्य स्तुति है, जो न केवल हमारे जीवन के रोगों को हर सकती है बल्कि आर्थिक समस्याओं से छुटकारा दिलाकर सुख-समृद्धि की ओर भी ले जाती है। अगर इसे पूरी श्रद्धा, नियम और संयम के साथ किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में चमत्कारी परिवर्तन देखे जा सकते हैं। भगवान गणेश की कृपा से जीवन में विघ्न दूर होते हैं और सफलता के मार्ग स्वतः प्रशस्त होते हैं।