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पंचभूतों को संतुलित करने वाला Shiv Panchakshar Stotra, 3 मिनट के इस आध्यात्मिक वीडियो में जाने पाठ विधि और दिव्य लाभ 

पंचभूतों को संतुलित करने वाला Shiv Panchakshar Stotra, 3 मिनट के इस आध्यात्मिक वीडियो में जाने पाठ विधि और दिव्य लाभ 

भारतीय सनातन परंपरा में भगवान शिव को सृष्टि के आदि स्रोत और समस्त ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में पूजा जाता है। वे न केवल जन्म और मृत्यु के चक्र को नियंत्रित करते हैं, बल्कि पांच तत्वों—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश—यानि पंचभूतों के भी अधिपति माने जाते हैं। इन्हीं पंचभूतों को संतुलित करने के लिए जो स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है, वह है "शिव पंचाक्षर स्तोत्र"। यह स्तोत्र 'नमः शिवाय' पंचाक्षर मंत्र पर आधारित है और ऋषि आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है।


क्या है शिव पंचाक्षर स्तोत्र?
'नमः शिवाय' पंचाक्षर मंत्र को लेकर रचा गया यह स्तोत्र भगवान शिव की महानता, करुणा और शक्ति का गुणगान करता है। इसके प्रत्येक श्लोक में एक-एक अक्षर—"न", "म", "शि", "वा", "य"—को समर्पित करते हुए महादेव के विविध स्वरूपों का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र भक्तों को न केवल आध्यात्मिक रूप से जागरूक बनाता है, बल्कि उनके शरीर, मन और आत्मा में संतुलन भी स्थापित करता है।

पाठ विधि: कैसे करें शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ?
1. प्रातःकाल या संध्याकाल में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
**2. शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति/चित्र के सामने बैठें।
3. दीपक जलाकर बिल्व पत्र, सफेद पुष्प, जल और धूप अर्पित करें।
4. "ॐ नमः शिवाय" का उच्चारण करते हुए ध्यान करें।
5. फिर नीचे दिए गए स्तोत्र का श्रद्धा और भावना के साथ पाठ करें:

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय  
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।  
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय  
तस्मै नकाराय नमः शिवाय॥ 1॥

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय  
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।  
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय  
तस्मै मकाराय नमः शिवाय॥ 2॥

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द  
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।  
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय  
तस्मै शिकाराय नमः शिवाय॥ 3॥

वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य  
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।  
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय  
तस्मै वकाराय नमः शिवाय॥ 4॥

यज्ञस्वरूपाय जटाधराय  
पिनाकहस्ताय सनातनाय।  
दिव्याय देवाय दिगम्बराय  
तस्मै यकाराय नमः शिवाय॥ 5॥
6. स्तोत्र पाठ के बाद "ॐ नमः शिवाय" का 108 बार जप करें।
7. अंत में प्रार्थना करें कि भगवान शिव आपके मन, शरीर और जीवन में संतुलन बनाए रखें।

पंचभूतों पर नियंत्रण कैसे देता है यह स्तोत्र?
1. पृथ्वी तत्व (स्थिरता और सहनशीलता) – ‘न’ अक्षर से जुड़ा श्लोक व्यक्ति में स्थिरता, सहनशीलता और मानसिक संतुलन बढ़ाता है।
2. जल तत्व (भावनाएं और प्रेम) – ‘म’ अक्षर वाला श्लोक मन में शुद्धता और प्रेम भावना का संचार करता है।
3. अग्नि तत्व (ऊर्जा और शक्ति) – ‘शि’ अक्षर से संबंधित स्तोत्र ऊर्जा, आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ाता है।
4. वायु तत्व (गति और विचार) – ‘वा’ अक्षर वाला श्लोक विचारों को स्पष्ट और सक्रिय बनाता है।
5. आकाश तत्व (आध्यात्मिकता और शून्यता) – ‘य’ अक्षर से जुड़ा श्लोक आत्मा को ब्रह्मांड से जोड़ता है और ध्यान में गहराई लाता है।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र के लाभ
मन की शांति: नियमित पाठ से मानसिक तनाव और चिंता दूर होती है।
शारीरिक आरोग्यता: यह शरीर के भीतर के तत्वों को संतुलित कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
धन और समृद्धि: शिव की कृपा से जीवन में स्थिरता आती है और आर्थिक परेशानियाँ कम होती हैं।
आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तोत्र साधक को ध्यान और भक्ति की उच्च अवस्था तक पहुंचाने में सहायक है।
नकारात्मकता से रक्षा: यह मंत्र और स्तोत्र व्यक्ति के चारों ओर एक सुरक्षा कवच बनाते हैं जो नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है।
परिवार में शांति: नियमित पाठ से पारिवारिक संबंध मधुर बनते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
कर्म शुद्धि: यह जीवन के पापों को क्षमा कराने वाला और शुभ कर्मों को प्रबल करने वाला स्तोत्र माना गया है।

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