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गायत्री के समान कोई मंत्र नहीं! शास्त्रों और संतों ने किया प्रमाणित, वायरल फुटेज में जाने कैसे बदलता है यह मंत्र आपके विचार, जीवन और भाग्य

गायत्री के समान कोई मंत्र नहीं! शास्त्रों और संतों ने किया प्रमाणित, वायरल फुटेज में जाने कैसे बदलता है यह मंत्र आपके विचार, जीवन और भाग्य

भारतीय सनातन संस्कृति में मंत्रों का विशेष महत्व है। लेकिन यदि समस्त वेदों, उपनिषदों और ऋषि-मुनियों की वाणी का सार एक मंत्र में समेटा जाए, तो वह मंत्र है— गायत्री मंत्र। इसे न केवल वेदों का हृदय कहा गया है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति, बुद्धि की जागृति और आत्म-शुद्धि का सबसे प्रभावशाली साधन भी माना गया है। यह मंत्र केवल एक धार्मिक पाठ नहीं, बल्कि जीवन को सत्य, शुद्ध और शुभ मार्ग पर ले जाने की दिव्य शक्ति है।

गायत्री मंत्र का मूल स्वरूप
गायत्री मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद (3.62.10) में मिलता है, जो इस प्रकार है:
"ॐ भूर्भुवः स्वः।
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात्॥"
इस मंत्र का अर्थ है— हम उस परमात्मा का ध्यान करते हैं, जो इस संपूर्ण जगत के स्रष्टा हैं, जो पूज्य हैं, जिनकी दिव्यता हमारे मन को पवित्र एवं ज्ञानयुक्त बनाए।

वेदों का सार
गायत्री मंत्र को ‘वेदमाता’ कहा जाता है क्योंकि इसमें चारों वेदों—ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद—का सार समाहित है। ऋषियों का मानना है कि यह मंत्र मनुष्य के भीतर छिपे ब्रह्म तत्व को जाग्रत करता है। जो इसे श्रद्धा और विधिपूर्वक जपता है, उसके विचार, कर्म और जीवन में उजास भर जाता है।

ऋषि-मुनियों की दृष्टि में गायत्री
प्राचीन काल से लेकर आधुनिक संतों और महापुरुषों ने गायत्री मंत्र की महिमा का गुणगान किया है। महर्षि विश्वामित्र को इसका ऋषि कहा जाता है, जिनकी तपस्या से यह मंत्र प्रकट हुआ। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि यदि कोई भारतीय प्रतिदिन गायत्री मंत्र का ध्यानपूर्वक जाप करे, तो उसका जीवन धर्म और विज्ञान दोनों में सफल हो सकता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण
गायत्री मंत्र की ध्वनि तरंगें भी अत्यंत शक्तिशाली मानी गई हैं। वैज्ञानिक शोधों में पाया गया है कि इस मंत्र के उच्चारण से मस्तिष्क की तरंगें संतुलित होती हैं और एकाग्रता में वृद्धि होती है। यह तनाव, अवसाद और नकारात्मक विचारों को दूर करने में सहायक है।नासा के कुछ वैज्ञानिकों ने भी इस मंत्र की ध्वनि तरंगों पर प्रयोग किए हैं, जिनमें पाया गया कि इसके नियमित उच्चारण से मस्तिष्क के कुछ विशेष हिस्से सक्रिय होते हैं जो रचनात्मकता और मानसिक शांति से जुड़े हैं।

दैनिक जीवन में महत्व
गायत्री मंत्र का नियमित जाप व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्तर पर शक्तिशाली बनाता है। प्रातःकाल और संध्याकाल इसके जाप के लिए श्रेष्ठ माने गए हैं। इससे आत्मबल, स्मरण शक्ति और सकारात्मक सोच का विकास होता है। कई माता-पिता अपने बच्चों को यह मंत्र स्मरण करवाते हैं ताकि वे शुरू से ही सुसंस्कारित और केंद्रित बन सकें।

गायत्री और संतान प्राप्ति
शास्त्रों में उल्लेख है कि पूर्व काल में जब संतान की प्राप्ति कठिन होती थी, तब स्त्रियां और पुरुष दोनों ही गायत्री मंत्र का अनुष्ठान करते थे। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र का जाप गर्भ में पल रहे शिशु की मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
भारत में कई संस्कार गायत्री मंत्र से प्रारंभ होते हैं। यज्ञोपवीत संस्कार में इसे विशेष रूप से महत्व दिया जाता है, क्योंकि यह ब्रह्मचर्य और ज्ञान के आरंभ का प्रतीक है। साथ ही, अनेक धार्मिक आयोजनों में गायत्री मंत्र के जाप को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है, जिससे वातावरण शुद्ध और सात्विक बनता है।

गायत्री मंत्र केवल एक धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है जो जीवन को दिशा, शक्ति और आत्मिक शांति प्रदान करता है। जिस प्रकार सूर्य अपने प्रकाश से अंधकार को मिटाता है, उसी प्रकार यह मंत्र मानव जीवन से अज्ञानता, भय, असुरक्षा और दुख को दूर करता है।वेदों की इस अनुपम कृति को यदि प्रतिदिन श्रद्धा और विश्वास से जपा जाए, तो न केवल व्यक्ति का जीवन सुधरता है, बल्कि समग्र समाज भी एक सकारात्मक दिशा में अग्रसर होता है।

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