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दुनिया का इकलौता मंदिर जहां इंसान के रूप में होती है गणपति की पूजा, वीडियो में देखे जानिए परंपरा के पीछे की हैरान कर देने वाली कथा

दुनिया का इकलौता मंदिर जहां इंसान के रूप में होती है गणपति की पूजा, वीडियो में देखे जानिए परंपरा के पीछे की हैरान कर देने वाली कथा

देशभर में भगवान गणेश को समर्पित कई अनोखे और प्रसिद्ध मंदिर आपको मिल जाएंगे। हर मंदिर की अपनी विशेषता और पौराणिक महत्व है, इन्हीं में से एक मंदिर तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले में स्थित है। यहां स्थापित गणेश मंदिर देश के अन्य मंदिरों से बिल्कुल अलग है। आपने ज्यादातर मंदिरों में गणेश जी की मूर्ति हाथी के रूप में देखी होगी, लेकिन इस मंदिर में गणेश जी की मूर्ति मानव रूप में विराजमान है। इसी विशेषता के कारण यह मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि लोग यहां दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं। इसके अलावा लोग अपने पितरों की शांति के लिए भी इस मंदिर में आते हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर की विशेषता और इसके पीछे छिपी कहानी के बारे में….


मानव रूप मूर्ति की कहानी-
मान्यता है कि एक बार भगवान शिव ने क्रोध में आकर श्री गणेश की गर्दन धड़ से अलग कर दी थी। जिसके बाद गणेश जी को हाथी का चेहरा दिया गया, तब से हर मंदिर में उनकी मूर्ति इसी रूप में स्थापित की जाती है। लेकिन आदि विनायक मंदिर में गणपति का मानव मुख होने का कारण यह है कि भगवान को हाथी का मुख लगाए जाने से पहले उनका मानव मुख था, जिसके कारण यहां उनकी इसी रूप में पूजा की जाती है।

पितरों की शांति के लिए होती है यहां पूजा-
एक बार भगवान राम ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए आदि विनायक मंदिर में पूजा की थी, तब से लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए इस मंदिर में पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं। यही कारण है कि इस मंदिर को तिलतर्पणपुरी के नाम से भी जाना जाता है। पितरों की शांति के लिए पूजा नदी के किनारे की जाती है, लेकिन धार्मिक अनुष्ठान मंदिर के अंदर ही किए जाते हैं। वैसे तो यह मंदिर आपको साधारण लगेगा, लेकिन लोगों के बीच इसका काफी महत्व है। तिलतर्पणपुरी शब्द में तिलतर्पण का अर्थ है पूर्वजों को समर्पित और पुरी का अर्थ है शहर। इन अनोखी चीजों के कारण लोग यहां रोजाना दर्शन और पूजा के लिए आते हैं।

यहां भगवान शिव और मां सरस्वती की भी होती है पूजा-
आदि विनायक मंदिर में सिर्फ भगवान गणेश की ही पूजा नहीं होती, बल्कि यहां शिव और मां सरस्वती की भी पूजा की जाती है। वैसे तो इस मंदिर में शिव जी की विशेष पूजा की जाती है, लेकिन यहां आने वाले भक्त आदि विनायक के साथ-साथ मां सरस्वती का आशीर्वाद लेने जरूर आते हैं।

श्री राम से जुड़ा है ऐसा संबंध-
मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए पूजा कर रहे थे, तो उनके द्वारा रखे गए चावल के चार पिंड कीड़े बन गए थे। जब भी पिंड बनाकर रखे जाते थे, उस दौरान यह स्थिति देखने को मिलती थी। जब भगवान राम ने शिव जी से इस बारे में उपाय जानना चाहा, तो भगवान ने उन्हें आदि विनायक मंदिर आकर विधि-विधान से पूजा करने का सुझाव दिया। भगवान शिव की सलाह पर श्री राम ने अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए इस मंदिर में विधि-विधान से पूजा का कार्य पूरा किया। कहा जाता है कि पूजा के दौरान चावल के चार पिंड शिवलिंग में बदल गए थे। आज ये चारों शिवलिंग आदि विनायक मंदिर के पास स्थित मुक्तेश्वर मंदिर में स्थापित हैं।

मंदिर से जुड़ी मान्यताएं-
भक्तों का मानना ​​है कि महागुरु अगस्त्य स्वयं हर "संकटहर चतुर्थी" पर आदि विनायक की पूजा करते हैं। यह भी मान्यता है कि यहां गणेश जी की पूजा करने से पारिवारिक रिश्तों में शांति आती है और विनायक के आशीर्वाद से बच्चों की बुद्धि तेज होती है।

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