Samachar Nama
×

भोलेनाथ को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय, जानें शिव पंचाक्षर स्तोत्र के नियमित पाठ से मिलेगा आरोग्य, धन और मानसिक शांति का वरदान

भोलेनाथ को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय, जानें शिव पंचाक्षर स्तोत्र के नियमित पाठ से मिलेगा आरोग्य, धन और मानसिक शांति का वरदान

सनातन धर्म में भगवान शिव को "भोलेनाथ" के नाम से जाना जाता है, जो सहजता से प्रसन्न हो जाते हैं। यदि कोई भक्त सच्चे मन से उनका स्मरण करता है या स्तुति करता है, तो वह शीघ्र कृपा प्रदान करते हैं। शिव को प्रसन्न करने के अनेक मंत्र और स्तोत्र शास्त्रों में वर्णित हैं, लेकिन उनमें से एक विशेष सरल और प्रभावशाली स्तोत्र है – ‘शिव पंचाक्षर स्तोत्र’। यह स्तोत्र न केवल आत्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि भक्त को आरोग्य, धन और समृद्धि का भी वरदान देता है।


क्या है शिव पंचाक्षर स्तोत्र?
‘शिव पंचाक्षर स्तोत्र’ संस्कृत का एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है जिसमें भगवान शिव के पाँच पवित्र अक्षरों – “न”, “म”, “ः”, “शि”, “व” – यानी “नमः शिवाय” के आधार पर हर श्लोक रचा गया है। इसे आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। पंचाक्षर मंत्र को शिव तंत्र और उपनिषदों में अत्यंत शक्तिशाली बताया गया है। इसी मंत्र से जुड़े पांच श्लोकों में शिव के विभिन्न रूपों, गुणों और कृपाओं का स्तवन किया गया है।

क्यों है यह स्तोत्र इतना प्रभावी?
शिव पंचाक्षर स्तोत्र का प्रतिदिन श्रद्धा और विश्वास से पाठ करने पर यह व्यक्ति की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है। यह न केवल मानसिक तनाव को दूर करता है बल्कि शारीरिक रोगों में भी चमत्कारी लाभ देता है। इसके नियमित जाप से मन शांत रहता है और ध्यान की शक्ति बढ़ती है। आर्थिक समस्याएं, पारिवारिक कलह या जीवन में बार-बार आने वाली विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पाँच श्लोक और उनके अर्थ:
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवाय॥
अर्थ: जो नागों का हार धारण करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो भस्म से सने हैं और सदा पवित्र तथा दिगम्बर (वस्त्रहीन) हैं, ऐसे ‘न’ अक्षर स्वरूप शिव को नमन है।

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै मकाराय नमः शिवाय॥

 अर्थ: जो मंदाकिनी के जल और चंदन से अभिषिक्त हैं, जिनकी नंदी और गणों द्वारा पूजा होती है, जो मन्दार पुष्पों से पूजित हैं, ऐसे ‘म’ अक्षर स्वरूप शिव को प्रणाम।

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नमः शिवाय॥

अर्थ: जो पार्वती के मुख कमल के सूर्य हैं, जिन्होंने दक्ष के यज्ञ का विनाश किया, जो नीलकंठ और वृषभध्वज (बैलधारी) हैं, उन्हें ‘शि’ अक्षर रूप शिव को नमन।

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै वकाराय नमः शिवाय॥

अर्थ: जो वशिष्ठ, अगस्त्य, गौतम आदि मुनियों और देवताओं द्वारा पूजित हैं, जिनकी आँखें चंद्रमा, सूर्य और अग्नि हैं, उन्हें ‘व’ अक्षर रूप शिव को प्रणाम।

यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै यकाराय नमः शिवाय॥

अर्थ: जो यज्ञस्वरूप हैं, जटाजूटधारी हैं, त्रिशूल और पिनाकधारी हैं, जो सनातन और दिव्य हैं, उन्हें ‘य’ अक्षर रूप शिव को नमन।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र पाठ विधि:
प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और शांत मन से शिवलिंग या शिव की मूर्ति के सामने बैठें।
दीपक जलाएं, बेलपत्र, जल और पुष्प अर्पित करें।
फिर शांत स्वर में पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करें।
पाठ के बाद “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।

नियमित पाठ के लाभ:
आरोग्य की प्राप्ति – मानसिक तनाव, नींद न आना या बार-बार बीमार पड़ने जैसी समस्याओं में यह स्तोत्र मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ाता है।
धन और समृद्धि – आर्थिक परेशानियाँ धीरे-धीरे दूर होती हैं, धन-लाभ के अवसर बनने लगते हैं।
मन की शांति – क्रोध, ईर्ष्या, चिंता आदि से मुक्ति मिलती है, जिससे पारिवारिक सुख-शांति बनी रहती है।
नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा – शत्रु, नज़र दोष या ऊपरी बाधाओं से सुरक्षा मिलती है।
आध्यात्मिक उन्नति – साधक के भीतर भक्ति, संयम और शिव के प्रति प्रेम बढ़ता है।

Share this story

Tags