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आज भी मौजूद है वो पीपल का पेड़ जिसके बर्बरीक ने छेद दिए थे सारे पत्ते, लीक्ड फुटेज में करे इस रहस्यमयी स्थान के दर्शन 

आज भी मौजूद है वो पीपल का पेड़ जिसके बर्बरीक ने छेद दिए थे सारे पत्ते, लीक्ड फुटेज में करे इस रहस्यमयी स्थान के दर्शन 

जिले के समालखा कस्बे से पांच किलोमीटर दूर चुलकाना गांव अब सिर्फ गांव नहीं बल्कि धाम के रूप में प्रसिद्ध है। चुलकाना में श्री श्याम खाटू वाले का प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर है। चुलकाना धाम को कलयुग का सर्वश्रेष्ठ तीर्थ माना जाता है। चुलकाना धाम का संबंध महाभारत से है। मान्यता है कि चुलकाना धाम में आज भी एक पीपल का पेड़ है, जिसके सभी पत्तों को बर्बरीक ने एक ही बाण से छेद दिया था। इस पीपल के पेड़ के पत्तों में आज भी छेद देखे जा सकते हैं। आज भी लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए इस पीपल के पेड़ की परिक्रमा करते हैं और मन्नत का धागा बांधते हैं। मान्यता है कि यहां मन्नत का धागा बांधने से लोगों की मनोकामना पूरी होती है।

तब दिखा था चमत्कार

मान्यता है कि पांडव पुत्र भीम के पुत्र घटोत्कच का विवाह राक्षसों की पुत्री कामकटंकटा से हुआ था। उन दोनों का पुत्र बर्बरीक था। बर्बरीक को महादेव और विजया माता की कृपा से शक्तियां प्राप्त हुई थीं। जब बर्बरीक महाभारत युद्ध में जा रहे थे, तब श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का वेश धारण कर उनकी परीक्षा ली और अपने एक ही बाण से पीपल के पेड़ के सभी पत्तों को छेद दिया।

श्री कृष्ण ने मांगा था उनका सिर

मान्यता के अनुसार बर्बरीक की शक्ति को जानकर ब्राह्मण रूपी श्री कृष्ण ने कहा...क्या तुम मुझे वो दोगे जो मैं मांगूंगा। बर्बरीक ने कहा कि मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन अगर आपके मन में कुछ है तो मैं देने के लिए तैयार हूं। श्री कृष्ण ने उनके सिर का दान मांगा। बर्बरीक ने कहा कि मैं अपना सिर दान कर दूंगा, लेकिन ब्राह्मण कभी सिर का दान नहीं मांगता। सच बताओ तुम कौन हो? तब श्री कृष्ण अपने असली रूप में प्रकट हुए और कहा कि इस युद्ध की सफलता के लिए एक महान योद्धा के बलिदान की आवश्यकता है। धरती पर तीन वीर योद्धा हैं, मैं, अर्जुन और तीसरे तुम हो। क्योंकि तुम पांडव वंश से हो, इसलिए रक्षा के लिए तुम्हारा बलिदान हमेशा याद रखा जाएगा। बर्बरीक ने देवी-देवताओं से प्रार्थना की और अपनी मां को प्रणाम कर एक झटके में अपना सिर धड़ से अलग कर श्री कृष्ण को दान कर दिया। श्री कृष्ण ने सिर को हाथ में लेकर उस पर अमृत छिड़का और उसे अमर कर दिया तथा एक टीले पर रख दिया।

चुलकाना धाम दूर-दूर तक प्रसिद्ध है

ग्रामीण सोनू शर्मा ने बताया कि चुलकाना धाम दूर-दूर तक प्रसिद्ध हो चुका है। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली व अन्य राज्यों से श्रद्धालु श्याम बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर में श्याम बाबा के अलावा हनुमान, कृष्ण बलराम, शिव परिवार व अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं।

एकादशी व द्वादशी को लगता है मेला

श्री श्याम मंदिर सेवा समिति के प्रधान रोशन लाल ने बताया कि हर रविवार, एकादशी व द्वादशी को दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु मंदिर में श्याम बाबा के दर्शन के लिए आते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

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