Samachar Nama
×

भारत में यहां स्थित है भगवान विष्णु के अंतिम अवतार 'कल्कि' का इकलौता मंदिर, जहां समय से पहले होती है भविष्य की आराधना

भारत में यहां स्थित है भगवान विष्णु के अंतिम अवतार 'कल्कि' का इकलौता मंदिर, जहां समय से पहले होती है भविष्य की आराधना

नगर के मोहल्ला कोट पूर्वी में स्थित श्री कल्कि भगवान विष्णु मंदिर भारत की सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत उदाहरण है। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व बल्कि ऐतिहासिक और स्थापत्य की दृष्टि से भी बेहद खास है। मान्यता है कि यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जो भगवान विष्णु के दसवें अवतार श्री कल्कि भगवान को समर्पित है। प्राचीन श्री कल्कि विष्णु मंदिर का निर्माण करीब 1000 वर्ष पूर्व राजा मनु महाराज ने कराया था। मंदिर की पौराणिकता और ऐतिहासिकता की पुष्टि एक प्राचीन मानचित्र से होती है। जिसमें संभल क्षेत्र का जिक्र होने के साथ ही इस मंदिर की आकृति और मनु श्री कल्कि मंदिर लिखा हुआ है। 

यह प्राचीनता इसे धार्मिक ही नहीं ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाती है। श्री कल्कि भगवान विष्णु मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसे दक्षिण भारतीय मंदिरों की शैली में बनाया गया है। जबकि उत्तर भारत में इस तरह की स्थापत्य कला दुर्लभ है। मंदिर की भव्यता और अलंकरण इसे दक्षिण भारत के मंदिरों जैसा रूप प्रदान करते हैं। यह शैली न केवल इसकी सुंदरता में चार चांद लगाती है बल्कि इसकी स्थापत्य कला में भी अनूठा आकर्षण जोड़ती है। श्री कल्कि मंदिर अष्टकोणीय मंदिर है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भविष्य में भगवान विष्णु अपने 10वें कल्कि अवतार में संभल में अवतार लेंगे। यह मान्यता इस मंदिर को विशेष धार्मिक महत्व देती है। स्थानीय श्रद्धालुओं के अनुसार यह मंदिर भगवान विष्णु के इसी स्वरूप का प्रतीक है और यहां दर्शन करने से भक्तों को विशेष पुण्य मिलता है।

महारानी अहिल्याबाई ने कराया था मंदिर का जीर्णोद्धार
शहर के प्राचीन श्री कल्कि विष्णु मंदिर के बारे में पंडित शोभित शास्त्री बताते हैं कि करीब 300 साल पहले इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसका जीर्णोद्धार कराया था। अहिल्याबाई होल्कर भारतीय मंदिरों के पुनर्निर्माण और संरक्षण के लिए जानी जाती थीं। उनके संरक्षण कार्य ने समय के साथ मंदिर को क्षरण से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि पूरे भारत में भगवान कल्कि का यह एकमात्र मंदिर है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक शोधकर्ताओं और कला प्रेमियों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। हालांकि अब भगवान कल्कि के मंदिर स्थापित किए जा रहे हैं, लेकिन श्री कल्कि विष्णु मंदिर ही एकमात्र मंदिर है।

श्रावण मास में मनाई जाती है भगवान कल्कि की जयंती
प्राचीन श्री कल्कि विष्णु मंदिर में हर साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की नाग पंचमी और छठ को भगवान कल्कि की भव्य जयंती मनाई जाती है। बताया जाता है कि पिछले 62 सालों से भगवान कल्कि की जयंती मनाई जा रही है। जिसमें कल्कि के भक्त एक रथ बनाकर उस पर भगवान कल्कि को विराजमान करते हैं और पूरे शहर में हाथों से खींचकर जुलूस निकाला जाता है। जिसमें देशभर से लोग हिस्सा लेते हैं। यह उत्सव दो दिनों तक मनाया जाता है।

Share this story

Tags