Samachar Nama
×

देश का इकलौता मंदिर जहाँ होती है त्रिनेत्र गणेश की पूजा, 2 मिनट के वायरल फुटेज में देखे चमत्कारी प्रतिमा का रहस्य?

देश का इकलौता मंदिर जहाँ होती है त्रिनेत्र गणेश की पूजा, 2 मिनट के वायरल फुटेज में देखे चमत्कारी प्रतिमा का रहस्य?

किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गणेश जी की पूजा और आह्वान किया जाता है। भादों माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान बप्पा 11 दिनों तक घरों में विराजमान रहते हैं और अंतिम दिन विधि-विधान से उनका विसर्जन किया जाता है। गणेश जी अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं। यही वजह है कि भरतपुर की स्थापना और लोहागढ़ किले की नींव रखने से पहले यहां त्रिनेत्र गणेश जी की स्थापना की गई थी।


क्यों हुई त्रिनेत्र गणेश जी की स्थापना

भरतपुर के अटल बैंड गणेश मंदिर के पुजारी गुंजन पाठक बताते हैं कि गणेश मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है। भरतपुर की स्थापना 1733 ई. में हुई थी, लेकिन अटल बैंड गणेश जी की स्थापना भरतपुर शहर की स्थापना से भी पहले हो गई थी। पुजारी गुंजन पाठक बताते हैं कि पूर्वजों से सुनी कथा के अनुसार भरतपुर शहर के वास्तु दोष को दूर करने के लिए गणेश जी की स्थापना की गई थी। यह मूर्ति शहर के दक्षिण दिशा में उत्तर-पूर्व मुखी मुद्रा में विराजमान है। त्रिनेत्र प्रतिमा की पौराणिक कथा

गजवंदनम् चितयम में विनायक की तीसरी आंख का वर्णन किया गया है। प्रचलित मान्यता है कि भगवान शिव ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपनी तीसरी आंख अपने पुत्र गणेश को सौंप दी थी और इस तरह महादेव की सभी शक्तियां गजानन में निहित हो गईं। महागणपति षोडश स्त्रुतमाला में विनायक के सोलह रूपों का वर्णन किया गया है। महागणपति बहुत ही खास और भव्य हैं जो तीन नेत्र धारण करते हैं, इस प्रकार यह माना जाता है कि रणथंभौर के त्रिनेत्र गणेशजी महागणपति के ही रूप हैं।

बरगद के पेड़ के नीचे स्थापित की गई थी प्रतिमा

कहते हैं कि सबसे पहले गणेश प्रतिमा यहां एक विशाल बरगद के पेड़ के नीचे स्थापित की गई थी। कई सालों बाद यहां मंदिर का निर्माण किया गया। पुजारी कहते हैं कि सभी नकारात्मक शक्तियां दक्षिण दिशा से आती हैं। ऐसे में गणेश जी की प्रतिमा को दक्षिण दिशा में स्थापित किया गया, ताकि दक्षिण दिशा से शहर की ओर आने वाली सभी नकारात्मक शक्तियों को रोका जा सके।

राजस्थान में सिर्फ दो स्थानों पर त्रिनेत्र गणेश प्रतिमा

मंदिर के पुजारी गुंजन पाठक ने बताया कि पूरे प्रदेश में सिर्फ दो स्थानों पर गणेश जी की त्रिनेत्र चंद्रमौली प्रतिमा है। एक प्रतिमा सवाई माधोपुर जिले के रणथंभौर के गणेश मंदिर में स्थापित है, जबकि दूसरी प्रतिमा भरतपुर के अटल बैंड मंदिर में रखी गई है।

सोने के वर्क से सजाया गया

पुजारी गुंजन के अनुसार त्रिनेत्र गणेश प्रतिमा को हमेशा सोने के वर्क से सजाया जाता था। लेकिन इस बार प्रतिमा को सिर्फ सिंदूर से सजाया गया। कोरोना के चलते पहली बार भक्तों के लिए फूल बंगला झांकी भी नहीं सजाई गई।

पहली बार दर्शनार्थियों को प्रवेश नहीं मिला

पुजारी गुंजन पाठक ने बताया कि अटल बैंड गणेश मंदिर के पट हमेशा से भक्तों के लिए खुले रहे हैं, लेकिन करीब 287 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि गणेश चतुर्थी के अवसर पर भी भक्तों को मंदिर के बाहर से ही दर्शन कर लौटना पड़ा।

Share this story

Tags