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वायरल डॉक्यूमेंट्री में जाने करणी माता मंदिर का रहस्य! जहां चूहों को पूर्वज माना जाता है और एक की भी हत्या पर मिलती है अनोखी सजा

वायरल डॉक्यूमेंट्री में जाने करणी माता मंदिर का रहस्य! जहां चूहों को पूर्वज माना जाता है और एक की भी हत्या पर मिलती है अनोखी सजा

राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक कस्बे में स्थित करणी माता मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि एक रहस्यमयी और चमत्कारी जगह के रूप में दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यह मंदिर जितना अपनी दिव्यता के लिए जाना जाता है, उतना ही हजारों चूहों की उपस्थिति के लिए भी चर्चित है। यहां मौजूद इन चूहों को आम चूहे नहीं, बल्कि पवित्र काबा कहा जाता है। इन चूहों की देखभाल, सेवा और पूजा मंदिर की परंपरा का हिस्सा है। लेकिन इस मंदिर से जुड़ी एक ऐसी मान्यता है जो हर किसी को चौंका देती है — अगर किसी ने यहां एक भी चूहे की हत्या कर दी, तो उसे कैसी सजा मिलती है, यह जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।


करणी माता मंदिर: आस्था और रहस्य का अद्भुत संगम
करीब 600 साल पहले बना यह मंदिर मां करणी को समर्पित है, जिन्हें मां दुर्गा का अवतार माना जाता है। लोकमान्यताओं के अनुसार, करणी माता ने अपने भतीजे को मृत्यु से पुनर्जीवित करने के लिए यमराज से प्रार्थना की थी। जब यमराज ने मना कर दिया, तो करणी माता ने अपने योगबल से यमराज से आत्माओं को वापस बुला लिया और उन्हें चूहों के रूप में जीवन प्रदान किया। तभी से यह मान्यता बन गई कि जो भी मां करणी की कृपा से मृत्यु को प्राप्त होते हैं, वे चूहे के रूप में इस मंदिर में जन्म लेते हैं।

25,000 से अधिक चूहों का घर
मंदिर में लगभग 25,000 से ज्यादा चूहे हैं, जिन्हें 'काबा' कहा जाता है। ये चूहे मंदिर के हर हिस्से में घूमते रहते हैं—भोजन क्षेत्र, देवी का गर्भगृह, दीवारें, यहां तक कि श्रद्धालुओं की गोद में भी चढ़ जाते हैं। इन चूहों को दूध, लड्डू, अनाज, और मिठाई खिलाई जाती है। श्रद्धालु इसे आशीर्वाद मानते हैं कि कोई काबा उनके शरीर पर चढ़ जाए या उनके हाथों से भोजन कर ले।

हत्या की सजा: सोने का चूहा
इस मंदिर की सबसे अनोखी और सख्त परंपरा यह है कि अगर कोई व्यक्ति किसी काबा यानी चूहे को गलती से भी मार देता है, तो उसे उस चूहे के आकार और वजन का चांदी या सोने का चूहा मंदिर में दान करना पड़ता है। इसे ही उस आत्मा को सम्मानपूर्वक विदाई देने का तरीका माना जाता है। यह नियम इतना कठोर है कि इसे तोड़ना मंदिर की गंभीर अवमानना माना जाता है।

क्यों पूजे जाते हैं चूहे?
सामान्यतः चूहे को अपवित्र या नुकसान पहुंचाने वाला जीव माना जाता है, लेकिन करणी माता मंदिर में इन्हें पूर्वजों और पुनर्जन्म लेने वाली आत्माओं का रूप माना जाता है। यहां सफेद चूहों को विशेष सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि अगर कोई श्रद्धालु सफेद चूहे को देख ले, तो उसकी मनोकामना निश्चित रूप से पूरी होती है।

विदेशी पर्यटकों के लिए भी रहस्य
करणी माता मंदिर दुनियाभर के पर्यटकों के लिए कौतूहल और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। बहुत से वैज्ञानिक और जीव वैज्ञानिक इस मंदिर की संरचना और चूहों की व्यवस्था को समझने के लिए अध्ययन कर चुके हैं, लेकिन आज तक किसी को यह पूरी तरह समझ नहीं आया कि कैसे इतने चूहे एक साथ रहते हैं और मंदिर में सफाई, व्यवस्था और शांति बनी रहती है।
 

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