वीडियो में जयपुर के गालता जी मंदिर का रहस्य, जहां पिछले 500 वर्षों से लगातार जल रही है अखंड ज्योत

राजस्थान की राजधनी जयपुर, जहां आधुनिकता और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, वहीं अरावली की पहाड़ियों के बीच छिपा है एक ऐतिहासिक और पवित्र तीर्थस्थल — गालता जी मंदिर। रामनवमी जैसे पावन अवसर पर, जब देशभर में भगवान श्रीराम के जन्म की जयकार गूंजती है, तब जयपुर के इस दिव्य स्थल का महत्व और भी बढ़ जाता है। गालता जी केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि वह स्थल है जहां पांच शताब्दियों से लगातार अखंड ज्योत जल रही है — एक ऐसी आध्यात्मिक लौ, जो भक्ति, तपस्या और सनातन परंपरा की प्रतीक मानी जाती है।
गालता जी का ऐतिहासिक महत्व
गालता जी का उल्लेख ना केवल स्थानीय लोककथाओं में मिलता है, बल्कि यह स्थल भारत के प्राचीन धार्मिक ग्रंथों और संत परंपरा में भी सम्मानित है। मान्यता है कि इस स्थान पर महर्षि गालव ने तपस्या की थी, और तभी से इसे "गालव ऋषि की तपोभूमि" के रूप में जाना जाता है। बाद में 16वीं शताब्दी में यहां मंदिरों का निर्माण हुआ, और तब से लेकर आज तक यहां का धार्मिक जीवन सतत रूप से चलता आ रहा है।इस स्थान की सबसे विशेष बात यह है कि यह पूरी तरह प्राकृतिक संरचना में बसा हुआ है। मंदिर पहाड़ियों से घिरा है, और वहीं एक प्राकृतिक जल स्रोत भी बहता है, जिसे 'गालता कुंड' कहा जाता है। यह जल स्रोत कभी सूखता नहीं — चाहे गर्मी हो या सर्दी — और इसे पवित्र स्नान के लिए उपयोग किया जाता है।
पांच सौ सालों से जल रही अखंड ज्योत
गालता जी मंदिर का सबसे रहस्यमयी और आस्था से भरा पहलू है यहां पांच सौ वर्षों से लगातार जलती हुई अखंड ज्योत। ऐसा माना जाता है कि इस ज्योत को एक तपस्वी साधु ने जलाया था और संकल्प लिया था कि यह दीपक अनवरत जलता रहेगा। तब से लेकर आज तक यह ज्योत बिना बुझी जल रही है, और इसकी सेवा-पूजा एक विशेष परंपरा के अंतर्गत की जाती है।इस अखंड ज्योत की सेवा का कार्य विशेष रूप से महंतों और उनके परिवारों द्वारा किया जाता है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी इस ज्योत को जलाए रखने का दायित्व निभा रहे हैं। यह केवल एक धार्मिक कार्य नहीं, बल्कि सनातन धर्म के प्रति अटूट श्रद्धा का प्रतीक है।
रामनवमी पर विशेष आयोजन
रामनवमी के दिन, जब पूरे भारत में श्रीराम जन्मोत्सव मनाया जाता है, तब गालता जी मंदिर में भी विशेष आयोजन होते हैं। यहां के मुख्य मंदिर में रामायण पाठ, सुंदरकांड का पाठ, भजन-कीर्तन और विशेष श्रृंगार किया जाता है। भक्तजन दूर-दूर से यहां दर्शन के लिए आते हैं और गालव कुंड में स्नान कर अपने पापों से मुक्ति की कामना करते हैं।रामनवमी पर अखंड ज्योत के समक्ष विशेष घृत अर्पण और दीपदान होता है, जो भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता से भर देता है। यहां की भक्ति भावनाएं इतनी सघन होती हैं कि हर आगंतुक को एक विशेष दिव्यता का अनुभव होता है।
प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक शांति का संगम
गालता जी मंदिर केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक दृष्टि से भी अत्यंत सुंदर है। मंदिर के चारों ओर हरियाली, पहाड़ और प्राकृतिक झरने इस स्थान को एक दिव्य ऊर्जा से भर देते हैं। यहां आने वाला प्रत्येक व्यक्ति न केवल मानसिक रूप से शांत होता है, बल्कि उसे आत्मिक शांति का अनुभव भी होता है।यह स्थान आध्यात्मिक साधना, ध्यान और योग के लिए भी उपयुक्त है। कई साधक और संत आज भी यहां निवास करते हैं और अपनी तपस्या को जारी रखते हैं।
क्यों करें रामनवमी पर गालता जी दर्शन?
रामनवमी के दिन गालता जी के दर्शन करना एक विशेष पुण्य का कार्य माना जाता है। यह अवसर होता है जब आप श्रीराम के जन्मदिन पर उन्हें सच्ची श्रद्धा से प्रणाम कर सकते हैं और अखंड ज्योत के दर्शन कर अपने जीवन की नकारात्मकताओं को समाप्त कर सकते हैं।यह स्थल हमें याद दिलाता है कि सच्ची आस्था और तपस्या से कोई भी लौ सदियों तक जल सकती है — जैसे गालता जी की अखंड ज्योत।
जयपुर का गालता जी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि वह स्थान है जहां पौराणिकता, प्रकृति, परंपरा और श्रद्धा एक साथ मिलते हैं। रामनवमी जैसे पर्व पर यहां की दिव्यता कई गुना बढ़ जाती है। यहां की अखंड ज्योत हमें बताती है कि जब इरादे पवित्र हों और भक्ति सच्ची हो, तो एक दीपक भी सदियों तक जलता रह सकता है।इस रामनवमी पर अगर आपके मन में श्रद्धा की लौ जल रही हो, तो एक बार गालता जी के दर्शन अवश्य करें। हो सकता है वहां की ज्योत आपकी आत्मा को भी प्रकाशित कर दे।