धरती से खुद प्रकट हुई थी बाबा श्याम की मूर्ति! इस पौराणिक वीडियो में जाने खाटू धाम के वो 7 रहस्य जो भक्तों को कर देते हैं स्तब्ध
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम धाम न सिर्फ एक आस्था का केंद्र है, बल्कि रहस्य और चमत्कारों की भूमि भी है। लाखों भक्त हर साल यहां दर्शन के लिए उमड़ते हैं, और कई बार वे अनुभव करते हैं कुछ ऐसा, जो साधारण नहीं होता। बाबा श्याम को कलयुग के कृष्ण कहा जाता है, और मान्यता है कि जो सच्चे मन से उन्हें याद करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य भी हैं, जो विज्ञान से परे हैं और भक्तों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं?
1. खाटू श्याम कौन हैं?
खाटू श्याम को महाभारत के वीर योद्धा बार्बरीक का अवतार माना जाता है, जो भीम पुत्र घटोत्कच का बेटा था। भगवान श्रीकृष्ण ने उसे युद्ध में भाग लेने से रोका और उसका शीश मांग लिया। बार्बरीक ने बिना झिझक अपना शीश दान कर दिया। कृष्ण ने उसे वरदान दिया कि कलियुग में उसे श्याम के नाम से पूजा जाएगा। खाटू श्याम वही बार्बरीक हैं, जिनका शीश आज भी मंदिर में विराजमान है।
2. अपने आप उभरती है श्याम बाबा की मूर्ति
मान्यता है कि खाटू श्याम की मूर्ति धरती से अपने आप प्रकट हुई थी। एक बार एक स्थानीय व्यक्ति ने सपने में बाबा को देखा, जिन्होंने उसे बताया कि खेत में खुदाई करने पर उनका शीश मिलेगा। जब गांववालों ने वहां खुदाई की, तो एक चमत्कारी सिर मिला, जिसे बाद में मंदिर में स्थापित किया गया।
3. बाबा का भव्य शीश पूजन और रहस्यमयी शक्ति
खाटू श्याम मंदिर में रखा गया शीश न तो किसी धातु से बना है और न ही यह मिट्टी या पत्थर का लगता है। श्रद्धालु मानते हैं कि इसमें एक अलौकिक शक्ति है, जिससे न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि कई रोग भी दूर हो जाते हैं। भक्त कहते हैं कि जब वे शीश को देखते हैं, तो आंखों से अश्रुधारा बहने लगती है, मानो बाबा खुद सामने हों।
4. चमत्कारी कुण्ड – जिसे कहते हैं 'श्याम कुंड'
मंदिर परिसर में स्थित श्याम कुंड को बेहद पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इसमें स्नान करने से भूत-प्रेत बाधा, नकारात्मक ऊर्जा और शारीरिक रोग समाप्त हो जाते हैं। कई भक्तों ने यह दावा किया है कि श्याम कुंड के जल से स्नान करने के बाद उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आए हैं।
5. श्याम बाबा की ज्योत – जो कभी बुझती नहीं
खाटू श्याम मंदिर में एक अखंड ज्योत जलती है, जो सदियों से कभी नहीं बुझी। चाहे मौसम कैसा भी हो, बारिश या तूफान – इस दीपक की लौ हमेशा जलती रहती है। यह रहस्य आज भी भक्तों को हैरान करता है और इसे बाबा की कृपा का प्रतीक माना जाता है।
6. मनोकामना पत्र – बाबा को भेजा जाता है सीधा संदेश
यहां एक अनोखी परंपरा है – मनोकामना पत्र लिखने की। भक्त बाबा को पत्र लिखकर अपनी इच्छा व्यक्त करते हैं और विश्वास करते हैं कि बाबा उन पत्रों को पढ़ते हैं। हजारों पत्र हर महीने मंदिर में जमा होते हैं, जिन्हें विशेष रूप से पूजा के साथ रखा जाता है। कई भक्तों के अनुसार, पत्र भेजने के कुछ ही दिनों में उनकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
7. बाबा की रथयात्रा – चमत्कारों से भरपूर यात्रा
हर साल फाल्गुन मेला और विशेष आयोजनों में बाबा की रथयात्रा निकाली जाती है। यह रथयात्रा कई बार ऐसे चमत्कारों का गवाह बनी है जहां अपंग लोग चलने लगे, आंखों की रोशनी लौट आई या जीवन में भारी बदलाव आए। इसे केवल आस्था नहीं, बल्कि चमत्कार की जीवंत झलक माना जाता है।

