दक्षिण भारत का वह पावन ज्योतिर्लिंग जहां स्वयंम विराजते है महाकाल सिर्फ दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामना, वीडियो में जाने इतिहास

सावन का महीना जल्द ही शुरू होने वाला है। सावन के महीने में कई लोग देश में स्थित शिव लिंग या ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने की योजना बनाते रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति सावन में सच्चे मन से भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश का मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग देश का एक पवित्र और प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है। जो भी व्यक्ति सावन में यहां गंगा जल चढ़ाता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस लेख में हम आपको मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के इतिहास और इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में बताने जा रहे हैं।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास
आंध्र प्रदेश के श्रीशैल पर्वत पर स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास बेहद रोचक है। इस पवित्र मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण कब हुआ इसका कोई निश्चित प्रमाण नहीं है, लेकिन कुछ साक्ष्यों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इसका अस्तित्व दूसरी शताब्दी के आसपास का है। एक अन्य कथन के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार विजयनगर साम्राज्य के राजा हरिहर प्रथम के समय में हुआ था। इसके अलावा रेड्डी साम्राज्य के समय में भी मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ था। आपको बता दें कि इसे भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा काफी रोचक है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान गणेश और कार्तिकेय के बीच विवाह की बात चल रही थी, तो कहा गया कि जो इस धरती की परिक्रमा करके सबसे पहले आएगा, उसका विवाह पहले होगा। कार्तिकेय धरती की परिक्रमा करने के लिए निकल पड़े, लेकिन भगवान गणेश यह शर्त जीत गए और उनका विवाह पहले हुआ। इस स्थिति में नाराज कार्तिकेय श्रीशैल पर्वत की ओर निकल पड़े, तब कार्तिकेय को शांत करने के लिए भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए।
इस ज्योतिर्लिंग में शिव-पार्वती विराजमान हैं
कहते हैं कि धार्मिक ग्रंथों में मल्लिकाजुन का अर्थ बताया गया है। जी हां, कहा जाता है कि मल्लिका का अर्थ पार्वती और अर्जुन का अर्थ भगवान शंकर होता है। इसलिए कई लोगों का मानना है कि इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती भी विराजमान हैं। आपको बता दें कि यह मंदिर इतना पवित्र है कि इसे दक्षिण भारत का कैलाश मंदिर भी माना जाता है।
सावन में उमड़ती है भक्तों की भीड़
सावन के महीने में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन करने के लिए देश के लगभग हर हिस्से से श्रद्धालु पहुंचते हैं। खासकर सावन के सोमवार को यहां लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। सावन के अलावा शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के मौके पर भी यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। कहा जाता है कि जो भी यहां सच्चे मन से गंगा जल चढ़ाता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सावन के महीने में मंदिर के आसपास मेला भी लगता है।