पहली पूजा गणेश जी की! जानिए क्यों मोती डूंगरी के बिना अधूरे माने जाते हैं शुभ कार्य, इस दुर्लभ वीडियो में जाने चौकाने वाली वजह
जयपुर की धड़कन माने जाने वाले मोती डूंगरी गणेश मंदिर की पहचान सिर्फ इसकी स्थापत्य कला और भव्यता से ही नहीं, बल्कि उससे जुड़ी अनोखी मान्यताओं और आस्था की गहराई से भी है। यह मंदिर न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे देश के भक्तों के लिए श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। यहां हर दिन हजारों लोग अपनी मुरादें लेकर पहुंचते हैं, क्योंकि मान्यता है कि मोती डूंगरी गणेश जी से मांगी गई मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं।
मोती डूंगरी: इतिहास से आस्था तक
मोती डूंगरी मंदिर की स्थापना 18वीं शताब्दी में मानी जाती है। कहा जाता है कि यहां स्थित गणेश जी की प्रतिमा मूल रूप से महाराष्ट्र से लाई गई थी और जयपुर रियासत के शासक द्वारा विशेष विधि-विधान से स्थापित की गई थी। यह प्रतिमा काफी पुरानी है और इसे ‘सिद्ध गणेश’ माना जाता है – यानी वो भगवान, जो तुरंत फल देने वाले हैं।मंदिर जिस डूंगरी (छोटी पहाड़ी) पर स्थित है, उसका नाम ही ‘मोती डूंगरी’ इस कारण पड़ा क्योंकि ऊपर स्थित किले की दीवारें और संरचना मोती जैसे सफेद पत्थरों से बनी हैं, और वह किसी सुंदर आभूषण की तरह चमकती है।
अनोखी मान्यता: पहली पूजा यहां
मोती डूंगरी गणेश मंदिर से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध मान्यता है – कोई भी शुभ कार्य हो, शादी, व्यापार, नया वाहन या घर, उसकी पहली पूजा मोती डूंगरी के गणेश जी के नाम की जाती है। यही कारण है कि हर बुधवार को यहां भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है, क्योंकि यह दिन गणपति को समर्पित माना जाता है।यहां के स्थानीय लोग मानते हैं कि अगर किसी शुभ कार्य से पहले यहां गणेश जी की पूजा न की जाए, तो कार्य में बाधा आ सकती है। खासकर जयपुर के व्यापारी, उद्योगपति और राजनेता किसी भी नए काम की शुरुआत से पहले मंदिर में आशीर्वाद लेना नहीं भूलते।
गणेश चतुर्थी पर अद्भुत दृश्य
मोती डूंगरी मंदिर की एक और खास बात यह है कि यहां गणेश चतुर्थी पर भव्य आयोजन होता है। इस दिन यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। मंदिर को विशेष फूलों और दीयों से सजाया जाता है। पूरे जयपुर में मेले जैसा माहौल होता है। इस अवसर पर मोती डूंगरी के गणेश जी के दर्शन मात्र से कष्ट मिट जाते हैं, यह आस्था गहराई से लोगों के दिलों में बैठी है।
चमत्कारों से जुड़ी लोककथाएं
यहां के स्थानीय लोगों में कई ऐसी कहानियां प्रचलित हैं, जिनमें मोती डूंगरी गणेश जी के चमत्कारों का जिक्र होता है। कहा जाता है कि एक बार एक महिला अपने बेटे की बीमारी से बहुत परेशान थी। जब डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए, तो वह मोती डूंगरी गणेश मंदिर में सात बुधवार तक लगातार पूजा करने आई। सातवें बुधवार को उसके बेटे की तबीयत चमत्कारिक रूप से ठीक हो गई।एक और मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से 21 नारियल चढ़ाता है और 11 लड्डू का भोग लगाता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
आस्था का केंद्र, आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत
मोती डूंगरी मंदिर केवल धार्मिक स्थान नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र भी है। यहां आने वाले लोगों को न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि उन्हें अपने जीवन की चुनौतियों से लड़ने की शक्ति भी मिलती है।जयपुर के लोगों के लिए यह मंदिर रोजमर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है – जैसे कोई परीक्षा हो, इंटरव्यू हो, कोर्ट केस हो या जीवन में कोई बड़ा फैसला, यहां आकर गणेश जी से मार्गदर्शन लेना एक परंपरा बन गई है।

