Sharad Purnima 2024 : वीडियो में जानें वो शुभ समय जिसमें खीर बनाने से बन जाएगी अमृत, दूर होंगे हर रोग दोष
राजस्थान न्यूज डेस्क !!! सनातन धर्म में हर माह की पूर्णिमा और अमावस्या तिथियों का अपना विशेष महत्व है। इन दोनों तिथियों पर भक्तों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि का भी विशेष महत्व होता है। सनातन धर्म में इस तिथि को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन भक्त गंगा नदी के पवित्र जल में स्नान करते हैं और दान करते हैं।
कब मनाई जाएगी शरद पूर्णिमा?
आचार्य दीप कुमार ने बताया कि हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है और चंद्रमा की किरणों में खीर भी रखी जाती है. उन्होंने बताया कि पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर को रात 8:40 बजे शुरू होगी और 17 अक्टूबर को शाम 4:55 बजे समाप्त होगी। इसलिए इस वर्ष शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जाएगी।
शरद पूर्णिमा पर किसकी पूजा की जाती है?
आचार्य दीप कुमार का कहना है कि शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों के जीवन में सुख और समृद्धि आती है। साथ ही उसके रुके हुए काम भी बनने लगते हैं। इसके अलावा शरद पूर्णिमा के चंद्रमा का भी विशेष महत्व है। आचार्य दीप कुमार ने कहा कि इस पूर्णिमा के अवसर पर चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। इसलिए इसे अमृत काल भी कहा जाता है।
खीर को चंद्रमा की रोशनी में कब रखें?
आचार्य दीप कुमार ने बताया कि 17 अक्टूबर को सुबह 4:45 बजे से 5:32 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त रहेगा। जबकि विजय मुहूर्त भी दोपहर 2:01 बजे से 2:47 बजे तक रहेगा। इसके अलावा गोधूलि मुहूर्त शाम 5:50 बजे से 6:15 बजे तक रहेगा. ऐसे में इस समय किए गए शुभ कार्यों का फल भी भक्तों को मिलेगा। आचार्य ने बताया कि रेवती नक्षत्र 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा की शाम 7:18 बजे शुरू होगा और रेवती नक्षत्र शुभ माना जाता है। ऐसे में 16 अक्टूबर की शाम 8 बजकर 40 मिनट के बाद खीर रखी जा सकती है. खीर को पूरी रात चंद्रमा की किरणों में रखें। 17 अक्टूबर को इसे प्रसाद के रूप में सभी भक्तों में बांट दें। ताकि सभी भक्तों को इस खीर का लाभ अमृत के रूप में मिल सके.
शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व
आचार्य दीप कुमार बताते हैं कि शरद पूर्णिमा को अमृत काल भी कहा जाता है, इसलिए इस दिन भक्त खीर बनाकर पूरी रात चांदनी में रखते हैं और अगले दिन इसका सेवन करते हैं। आचार्य कहते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों से खीर में विशेष औषधीय गुण आ जाते हैं। और इसके सेवन से कई रोग नष्ट हो जाते हैं।