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Sharad Purnima 2024 : क्या आप भी है आर्थिक तंगी से परेशान, तो शरद पूर्णिमा के दिन करें ये आसान उपाय, कभी खाली नहीं होगी जेब

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सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। आश्विन पूर्णिमा 2024 को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। वैसे तो सभी पूर्णिमाओं का विशेष महत्व होता है, लेकिन शरद पूर्णिमा को सभी पूर्णिमाओं में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस शुभ तिथि पर जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

साथ ही आस्था के अनुसार गरीबों को भोजन, वस्त्र और धन का दान किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कार्यों को करने से जातक को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और जीवन में खुशियां आती हैं। इसके अलावा शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर रखी जाती है (शरद पूर्णिमा 2024 की खीर)। क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों किया जाता है? अगर आप नहीं जानते हैं तो इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि शरद पूर्णिमा पर खीर क्यों बनाते हैं (Sharad Purnima Par khier Kyon Bnate Hai) का क्या कनेक्शन है?

शरद पूर्णिमा 2024 कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार शरद पूर्णिमा (पूर्णिमा तिथि) का त्योहार 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा. वहीं, अगले दिन यानी 17 अक्टूबर आश्विन पूर्णिमा को दान-पुण्य किया जाएगा।

हर साल शरद पूर्णिमा का त्योहार धन की देवी मां लक्ष्मी के प्राकट्योत्सव के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मां लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। वहीं, दूसरी मान्यता यह है कि द्वापर युग में जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण धवल चांदनी में राज्य करते थे। इससे चंद्र देव प्रसन्न हुए और अमृत वर्षा की। इसी वजह से शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर रखी जाती है, ताकि उस खीर में अमृत मिल जाए (Sharad Purnima khier Ka mahatva)। इसका सेवन अगले दिन किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि खीर (शरद पूर्णिमा खीर लाभ) का सेवन करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और जातक पर अपनी कृपा सदैव बनाए रखती हैं।

शरद पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा कहा जाता है
शरद पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कोजागिरी व्रत और मां लक्ष्मी की पूजा के बाद लोगों को प्रसाद के रूप में मखाना और बताशे बांटे जाते हैं। इस रात कौड़ी खेलने की परंपरा निभाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि कौड़ियाँ समुद्र से उत्पन्न होती हैं और कौड़ियाँ देवी लक्ष्मी को प्रिय हैं। इसी वजह से भक्त उनकी पूजा के दौरान कौड़ियां चढ़ाते हैं।

पूजा एवं स्नान का महत्व |

शरद पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान, दान और पूजा-पाठ करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति शरद पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करता है उस पर भगवान की विशेष कृपा होती है। ऐसे में शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए। शरद पूर्णिमा के दिन सुबह सूर्य की पूजा करें और रात को चंद्रमा की पूजा करें, इसके साथ ही रात को षोडशोपचार विधि से लक्ष्मी जी की पूजा करें, श्रीसूक्त का पाठ, कनकधारा स्रोत, विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें। इससे मां लक्ष्मी आपका घर धन-धान्य से भर देंगी।

शरद पूर्णिमा 2024 तिथि और शुभ समय
तिथियों के घटने और बढ़ने के कारण इस वर्ष शरद पूर्णिमा तिथि दो दिन यानी 16 और 17 अक्टूबर को रहेगी। वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार आश्विन मास की शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर की रात करीब 8 बजे से शुरू होगी. जो 17 अक्टूबर शाम 5 बजे तक रहेगा. हालांकि शरद पूर्णिमा का त्योहार रात में ही मनाया जाता है इसलिए यह त्योहार 16 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। 17 अक्टूबर को शाम 5 बजे के बाद नया हिंदू माह कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा शुरू हो जाएगा। शरद पूर्णिमा पर चंद्रोदय का समय शाम करीब 5 बजे रहेगा।

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