पाकिस्तान से लेकर श्रीलंका तक फैले मां दुर्गा के शक्तिपीठ, पौराणिक वीडियो में जानें कहां-कहां विराजती हैं आदिशक्ति ?
वैसे तो भारत में माँ दुर्गा के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। आप इनके दर्शन न केवल नवरात्रि के दौरान, बल्कि कभी भी कर सकते हैं। जहाँ-जहाँ माता सती के शरीर के अंग गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ निर्मित हुए। ऐसे 52 शक्तिपीठ हैं जो अलग-अलग स्थानों पर स्थित हैं। इन सभी शक्तिपीठों को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सभी शक्तिपीठ भारत में नहीं हैं। बल्कि, कुछ शक्तिपीठों के दर्शन के लिए आपको विदेश जाना पड़ेगा। आइए जानते हैं भारत से बाहर स्थित देवी माँ के शक्तिपीठों के बारे में...
पाकिस्तान में स्थित शक्तिपीठ
देवी माँ का प्रसिद्ध शक्तिपीठ भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में स्थित है। हिंगुला शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है। आपको बता दें कि यह देश के प्राचीन मंदिरों में से एक है। यहाँ माता के हिंगलाज रूप की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार, इसी स्थान पर माता सती का सिर गिरा था। इसे नानी का हज या नानी का मंदिर कहा जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस मंदिर पर कई बार आतंकवादियों ने हमला किया है। लेकिन इस शक्ति पीठ को नाममात्र का भी नुकसान नहीं हुआ।
श्रीलंका में शक्ति पीठ
भारत के दक्षिण में स्थित श्रीलंका में देवी माँ का एक शक्ति पीठ है। इस शक्ति पीठ को इंद्राक्षी शक्ति पीठ कहा जाता है। कहा जाता है कि यहाँ माता सती की पायल गिरी थी। मान्यता के अनुसार, देवराज इंद्र और भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम ने इस शक्ति पीठ पर पूजा-अर्चना की थी। श्रीलंका के जाफना नल्लूर में देवी माँ को इंद्राक्षी कहा जाता है।
नेपाल में तीन शक्ति पीठ
भारत के पड़ोसी देश नेपाल में तीन शक्ति पीठ हैं। पहला शक्ति पीठ गंडक नदी के पास है। जिसे आद्या शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है। इस स्थान पर माता सती का बायाँ गाल गिरा था। यहाँ देवी को गंडकी कहा जाता है।दूसरा शक्ति पीठ पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर बागमती नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर को गुहेश्वरी शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि यहाँ माता सती के दोनों घुटने गिरे थे। इस स्थान पर देवी की पूजा महामाया के रूप में की जाती है।नेपाल में तीसरा शक्तिपीठ बिजयपुर गाँव में स्थित है। यहाँ माता सती के दाँत गिरे थे। इसलिए इसे दंतकाली शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है।
तिब्बत में शक्तिपीठ
माता सती के दाहिने हाथ की हथेली भारत के निकट स्थित तिब्बत में गिरी थी। इसे मनसा देवी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें कि यह शक्तिपीठ तिब्बत में मानसरोवर नदी के तट पर स्थित है।
बांग्लादेश में 6 शक्तिपीठ
पहला शक्तिपीठ उग्रतारा नाम से प्रसिद्ध है, मान्यता के अनुसार, यहाँ माता सती की नाक गिरी थी।दूसरा अपर्णा शक्तिपीठ है, इस स्थान पर माता के बाएँ पैर की पायल गिरी थी।तीसरा श्रीशैल शक्तिपीठ सिलहट जिले के शैल नामक स्थान पर स्थित है। यहाँ माता सती का कंठ गिरा था।चौथा शक्तिपीठ चटगाँव जिले के सीता कुंड स्टेशन के पास चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल में स्थित है। इस स्थान पर माता सती की दाहिनी भुजा गिरी थी।पाँचवाँ शक्तिपीठ यशोरेश्वरी माता का नाम है। इस स्थान पर माता की बाईं हथेली गिरी थी।जयंती शक्तिपीठ सिलहट जिले के खासी पर्वत पर स्थित है। यहाँ माता सती की बाईं जांघ गिरी थी।

