Sawan Somwar 2025: शिव पूजा करते समय भूलकर भी न करें ये 10 गलतियां, वीडियो में जाने पूजा के दौरान जरूरी नियम और सावधानियां
सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का सबसे पवित्र समय माना जाता है। इस पूरे महीने विशेष रूप से सोमवार को शिवभक्त व्रत रखते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भस्म आदि अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजन करने से शिवजी जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। लेकिन कई बार श्रद्धा के साथ की गई पूजा में अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां हो जाती हैं, जो पूजन के पुण्य फल को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए सावन सोमवार के दिन शिव पूजा के दौरान कुछ जरूरी सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है।
1. शिवलिंग पर कभी भी केसर या हल्दी न चढ़ाएं
शिवलिंग पर दूध, जल, बेलपत्र, भस्म और धतूरा चढ़ाने की परंपरा है, लेकिन हल्दी और केसर शिवलिंग पर नहीं चढ़ाई जानी चाहिए। ये दोनों पदार्थ सौंदर्य वर्धक माने जाते हैं और शिव का स्वरूप वैराग्य से जुड़ा है, न कि श्रृंगार से। हल्दी को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, जो शिव के तपस्वी रूप के विपरीत है।
2. ताम्र पात्र (कॉपर बर्तन) से जल अर्पित करें, स्टील या प्लास्टिक न लें
शिव अभिषेक के लिए तांबे के लोटे या कलश का प्रयोग शुभ माना जाता है। प्लास्टिक, स्टील या एल्युमिनियम के बर्तन अशुद्ध माने जाते हैं और इनसे जल या दूध अर्पित करना वर्जित माना गया है। तांबे के पात्र से अभिषेक करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
3. बेलपत्र को उल्टा न चढ़ाएं
भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय हैं, लेकिन ध्यान रखें कि जब भी बेलपत्र चढ़ाएं, उसका मध्य भाग (डंठल वाला हिस्सा) ऊपर की ओर न हो। बेलपत्र को हमेशा साफ और सही दिशा में शिवलिंग पर अर्पित करें। यदि पत्ते पर तीनों धाराएं स्पष्ट न हों या वह फटा हुआ हो, तो वह भी नहीं चढ़ाना चाहिए।
4. एक ही बेलपत्र बार-बार न करें प्रयोग
कई लोग एक ही बेलपत्र को बार-बार उपयोग करते हैं, लेकिन ऐसा करना शास्त्रों के अनुसार अनुचित है। शिव को चढ़ाया गया बेलपत्र पुनः किसी अन्य प्रयोजन में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। वह पूजन के बाद नदी या बहते जल में प्रवाहित किया जाना चाहिए।
5. शिवलिंग पर तुलसी न चढ़ाएं
कुछ लोग श्रद्धा में शिवलिंग पर तुलसी पत्र भी चढ़ा देते हैं, लेकिन यह एक गंभीर भूल है। तुलसी का संबंध भगवान विष्णु से है और शिवपुराण में स्पष्ट कहा गया है कि शिवलिंग पर तुलसी नहीं चढ़ाई जानी चाहिए।
6. पूजा के दौरान अशुद्ध वाणी और मन से बचें
सावन सोमवार के दिन शिव पूजा करते समय शुद्ध मन और वाणी का विशेष ध्यान रखें। पूजा करते समय गाली-गलौज, क्रोध या अपवित्र विचारों से बचें। ध्यान रखें कि पूजा का वास्तविक प्रभाव तभी पड़ता है जब वह मन, वचन और कर्म से की गई हो।
7. व्रत के नियमों में लापरवाही न करें
सोमवार व्रत में एक समय फलाहार या जलाहार ग्रहण करने की परंपरा है। कई लोग व्रत के नाम पर सामान्य भोजन कर लेते हैं, जो नियम विरुद्ध है। यदि आप व्रत नहीं रख सकते, तो कम से कम सात्विक आहार और संयमित व्यवहार जरूर अपनाएं।
8. रात्रि में शिव का अभिषेक न करें
हालांकि कुछ विशेष अवसरों पर रात्रि अभिषेक किया जाता है, लेकिन सामान्यतः शिव अभिषेक प्रातः काल से दोपहर के बीच ही करना शुभ माना जाता है। रात्रि में पूजा करते समय विधि-विधान और ब्राह्मण की सलाह जरूरी होती है।
9. नंगे पैर और शुद्ध वस्त्रों में ही करें पूजन
शिवालय में प्रवेश करते समय नंगे पैर जाएं और स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। विशेष रूप से महिलाओं को पीरियड्स के समय शिवलिंग का स्पर्श नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह धार्मिक दृष्टिकोण से निषिद्ध माना गया है।
10. शिव मंत्रों का उच्चारण सही ढंग से करें
"ॐ नमः शिवाय", "महामृत्युंजय मंत्र" जैसे शिव मंत्रों का उच्चारण करते समय उच्चारण की शुद्धता और लय का विशेष ध्यान रखें। गलत उच्चारण से पूजन प्रभावहीन हो सकता है।

