इस धर्म में भगवान की नहीं शैतान की करते हैं पूजा, किसी से भी शारीरिक संबंध की है छूट
अगर आप धार्मिक हैं तो बेशक भगवान की शक्ति में विश्वास रखते होंगे, लेकिन दुनिया में कई धर्म ऐसे भी हैं जिनकी मान्यताएं आपको विस्मित कर सकती हैं। आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे धर्म के बारे में जहां किसी भगवान में नहीं बल्कि शैतान की शक्ति में विश्वास किया जाता है। यहां न तो व्रत—उपवास होते हैं और न ही सत्य के मार्ग पर चलने का उपदेश देने वाले धर्मगुरु। शैतान के धर्म में मर्यादा, पवित्रता और संयम का सबक नहीं सिखाया जाता। यहां भक्ति के बजाय भोग को प्रधानता दी जाती है।
शैतान के इस धर्म का नाम है साइंटोलॉजी। यहां भावनाओं से नहीं बल्कि तर्कों से काम चलता है। शैतान के धर्म में नैतिकता और मर्यादा पर जोर नहीं दिया जाता। पवित्रता और सब्र जैसी बातों को तो आप यहां भूल ही जाएं, क्योंकि शैतान की शरण में आने के बाद ये बातें बेहद बचकानी लगने लगती हैं। इस धर्म में सबसे ज्यादा भोग—विलास को महत्व दिया जाता है। इसके अनुयायियों का मानना है कि जो कुछ है, यहीं पर है। इसके बाद न तो कोई स्वर्ग है और न ही नर्क। जो इस जिंदगी में जितना ज्यादा आनंद कर सकता है, करना चाहिए। यही उसका सौभाग्य है।
हालांकि भारत जैसे देश में तो इसके अनुयायी दिखाई नहीं देते, लेकिन पश्चिम में इनकी तादाद बहुत ज्यादा है। ये लोग दिन में अपने कारोबार—नौकरी और अन्य पेशों में लगे रहते हैं। शाम को किसी खास दिन इकट्ठे होकर अपने धार्मिक कार्यक्रम करते हैं। इसके लिए ये खास किस्म के कपड़े पहनते हैं ताकि समाज में अपनी पहचान उजागर न हो।
अनुष्ठानों में इन्हें कोई पूजा—वंदना आदि नहीं सिखाई जाती। ये ईश्वर पर बिल्कुल विश्वास नहीं करते, बल्कि अपनी जिंदगी के नियम खुद बनाते हैं। किसी और की शर्तें खुद पर थोपना इन्हें अच्छा नहीं लगता। अपने सामुदायिक अनुष्ठानों में ये लोग मदिरा पीते हैं और खूब मांसाहार करते हैं। इसके बाद इन्हें आपसी सहमति से किसी से भी शारीरिक संबंध बनाने की छूट होती है। चूंकि ये नैतिकता में विश्वास नहीं करते, इसलिए ऐसे संबंधों को बुरा नहीं माना जाता।
इतिहास में इस प्रकार की जीवन शैली को धर्म से जोड़ने वाले अनेक लोग पैदा हुए हैं लेकिन शैतानी धर्म की आधिकारिक शुरुआत 1955 से मानी जाती है। इसका संस्थापक था एल रॉन हबॉर्ड। उसने अध्यात्म और विश्वास के बजाय विज्ञान, नई तकनीक और तर्क को आधार बनाया। यहां किसी प्रकार की प्राचीन परंपराओं के लिए कोई स्थान नहीं है। हर तथ्य को तर्क से सत्य सिद्ध किया जाता है।
यहां आने के बाद व्यक्ति भगवान से अपनी समस्याएं दूर करने के लिए प्रार्थना नहीं करता। वह इन समस्याओं को समस्या मानने से ही इन्कार कर देता। वह पूरी तरह बेपरवाह हो जाता है। उसका पूरा ध्यान इस जिंदगी का आनंद लूटने पर होता है। हालांकि इस विचित्र धर्म का पश्चिम में भी काफी विरोध हुआ, परंतु आज भी इसके अनुयायी हैं। इस धर्म का भविष्य कैसा होगा, क्या इसके नियम कभी बदलेंगे अथवा एक दिन यह खत्म हो जाएगा? ऐसे तमाम सवाल लोगों के जेहन में हैं, लेकिन शैतान का यह विचित्र धर्म काफी लोगों में जिज्ञासा जरूर पैदा करता है।
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