Samachar Nama
×

अंतिम संस्कार के समय की जाने वाली कपाल क्रिया के बारे में जानते हैं आप

जयपुर । हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद मृतक का दाह संस्कार किया जाता है, मृतक के शरीर को अग्नि में समर्पित किया जाता है। उस समय कपाल क्रिया भी की जाती है। आज इस लेख में हम इस बारे में बताएंगे कि दाह संस्कार के समय आखिर क्यों कपाल क्रिया की जाती है- मृत
अंतिम संस्कार के समय की जाने वाली कपाल क्रिया के बारे में जानते हैं आप

जयपुर । हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद मृतक का दाह संस्कार किया जाता है, मृतक के शरीर को अग्नि में समर्पित किया जाता है। उस समय कपाल क्रिया भी की जाती है। आज इस लेख में हम इस बारे में बताएंगे कि दाह संस्कार के समय आखिर क्यों कपाल क्रिया की जाती है-

अंतिम संस्कार के समय की जाने वाली कपाल क्रिया के बारे में जानते हैं आप

  • मृत के शरीर को मुखाग्नि देने के कुछ समय बाद बांस में लोटा बांधकर शव के सिर वाले हिस्से में घी डाला जाता है ताकि मृत का सिर पूरी तरह से जल जाए, उसका कोई हिस्सा शेष न बचे। इस क्रिया को कपाल क्रिया कहते हैं।
  • कुछ लोग इस क्रम में मृतक के सिर पर घी की आहुति दे कर तीन बार डंडे से प्रहार कर उसकी खोपड़ी फोड़ी जाती है। इसे भी कपाल क्रिया ही कहा जाता हैं।
  • कपाल क्रिया से जुडी एक मान्यता यह भी है कि कपाल क्रिया के बाद ही प्राण पूरी तरह स्वतंत्र होते हैं और मृत की आत्मा नए जन्म की प्रक्रिया में आगे बढ़ता है।
  • इस संबंध में दूसरी मान्यता है कि खोपड़ी को फोड़कर मस्तिष्क को इसलिए जलाया जाता है ताकि वह अधजला न रह जाए अन्यथा अगले जन्म में उसका शरीर अविकसित रह जाता है।
  • खोपड़ी की हड्डी काफी मजबूत होती है कि उसे अग्नि में भस्म होने में समय लगता है। इस कारण से उसे फोड़ा जाता है जिससे मस्तिष्क में स्थित ब्रह्मरंध्र पंचतत्व में पूर्ण रूप से विलीन हो जाए। इसीलिए अंतिन संस्कार मे कपाल क्रिया की जाती है।
  • कपाल क्रिया करना इस लिये भी जरुरी होता है क्योकि कुछ तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए मृत शरीर की खोपड़ी का उपयोग करते हैं, इसलिए भी
  • कपाल क्रिया को किया जाता है।

Share this story