25 की उम्र में परिवार छोड़ संन्यास लेकर स्वामी विवेकानंद ने दुनिया को सिखाई जीवन जीने की कला
ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: आज यानी 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती मनाई जा रही हैं देश में इनकी जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता हैं हर साल 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाई जाती हैं स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र था और इनका जन्म 12 जनवरी 1863 में कोलकाता में हुआ था। इनके पिता कलकत्ता हाईकोर्ट में एक वकील थे और मां धार्मिक विचारों की महिला थी। स्वामी विवेकानंद ने 25 साल की उम्र में परिवार छोड़कर संन्यास धारण किया था।
1893 में अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म महासभा में उनके द्वारा दिया गया भाषण विश्व प्रसिद्ध है इसी भाषण के बाद दुनिया ने उनकी अध्यात्मिक सोच और दर्शन शास्त्र से प्रभावित हुई। स्वामी जी ने जीवन के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें कही थी। उनके द्वारा कहे गए विचार जिनको अपनाकर हर कोई अपने जीवन में महत्वपूर्ण और सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है स्वामी विवेकानन्द की जयंती के अवसर पर आज हम आपको उन्हें विचार बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
जानिए स्वामी विवेकानंद के विचार—
एक समय में एक काम करो, ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ। जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगों का आप पर से विश्वास उठ जाता हैं। किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आए, आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं। हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं जैसा आप सोचते हैं वैसे बन जाते हैं। उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य हासिल ना हो जाए। जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते। एक विचार लोग, उस विचार को अपना जीवन बना लो। उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो, उस विचार को जियो।
सत्य को एक हजार तरीकों से बताया जा सकता है फिर भी हर एक सत्य ही होगा। खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप हैं। जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आए, आप यकीन कर सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर चल रहे हैं। सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना। खुद पर विश्वास करें। भला हम भगवान को खोजने कहां जा सकते हैं अगर उसे अपने ह्रदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते। जो आग हमें गर्मी देती है हमें नष्ट भी कर सकती हैं यह आग का दोष नहीं है। आपको अंदर से बाहर की ओर विकसित होना हैं कोई तुम्हें पढ़ा नहीं सकता, कोई तुम्हें आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुम्हारी आत्मा के अलावा कोई और गुरु नहीं हैं।