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इस मंदिर में विराजमान हैं ऐसे भगवान जिनके दर्शन से डरते हैं लोग!

मंदिरों में लोग अपने इष्टदेव का पूजन करने जाते हैं। प्राय: जब हम मंदिर में जाते हैं तो हमें भगवान के दर्शन करने की शीघ्रता होती है, परंतु उत्तराखंड में एक मंदिर ऐसा है जहां लोग भगवान के दर्शन से भयभीत होते हैं। यहां तक कि वे उनके मुख के दर्शन भी नहीं करते। यह
इस मंदिर में विराजमान हैं ऐसे भगवान जिनके दर्शन से डरते हैं लोग!

मंदिरों में लोग अपने इष्टदेव का पूजन करने जाते हैं। प्राय: जब हम मंदिर में जाते हैं तो हमें भगवान के दर्शन करने की शीघ्रता होती है, परंतु उत्तराखंड में एक मंदिर ऐसा है जहां लोग भगवान के दर्शन से भयभीत होते हैं। यहां तक कि वे उनके मुख के दर्शन भी नहीं करते।
यह मंदिर उत्तरकाशी के एक छोटे—से कस्बे नैटवाड़ में स्थित है। यहां भगवान पोखूवीर विराजमान हैं।

न्याय के देवता पोखूवीर

स्थानीय मान्यता के अनुसार, पोखूवीर न्याय के देवता हैं। जो उनके दरबार में आकर न्याय मांगता है, उसकी मनोकामना शीघ्र पूरी होती है। कुछ मान्यताओं के कारण यहां लोग पोखूवीर के मुख के दर्शन नहीं करते।

प्राचीन काल में जब कोई विवाद होता तो लोग न्याय के लिए पोखूवीर के मंदिर में ही हाजिरी लगाते। उस समय इन्साफ के लिए एकमात्र यही स्थान था। लोग कोर्ट—कचहरी में जाने के बजाय यहीं आते थे।

नदी में फेंका सिर

प्रबल मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति दोषी होता है और उससे संबंधित मामला पोखूवीर की अदालत में आता है तो उसे किसी न किसी रूप में दंड अवश्य मिलता है।

मंदिर से जुड़ी कई कथाएं इसे और रहस्यमय बनाती हैं। माना जाता है कि प्राचीन काल में किरमिर नामक दानव ने इस क्षेत्र में बहुत उत्पात मचाया। तब लोगों को उससे बचाने के लिए दुर्योधन ने युद्ध किया। युद्ध के दौरान दुुर्योधन ने उसकी गर्दन काटकर सिर टोंस नदी में फेंक दिया।

नदी में फेंकने के बाद उस दानव का सिर धारा से उलटी दिशा में बहने लगा। आखिरकार वह बहता—बहता रुक गया। उसी जगह किरमिर दानव का सिर स्थापित कर दिया। कालांतर में वह पोखूवीर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। आज जब लोग पोखूवीर के मंदिर में जाते हैं तो सिर्फ पीठ की पूजा करते हैं। उनका चेहरा देखने का साहस कोई श्रद्धालु नहीं करता।

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