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मां चंडिका का अनोखा मंदिर जहां दानवीर कर्ण हर रोज़ करते थे 60 किलों सोने का दान, ऐसी है मंदिर की मान्यता 

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ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: भारत देश में देवी के पवित्र स्थलों की कमी नहीं है और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन आज हम आपको मुंगेर के चंडिका देवी मंदिर जो कि बिहार के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में एक माना गया है। इसके बारे में बता रहे हैं बता दें कि माता का यह मंदिर देवी दुर्गा के चंडिका स्वरूप को समर्पित है और बिहार के मुंगेर जिले में स्थित है।

Maa chandika devi temple bihar

यह स्थान न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र माना जाता है बल्कि  ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नजरिए से भी बहुत महत्वपूर्ण है। बिहार के चंडिका देवी मंदिर की विशेष मान्यता हैं। क्योंकि माता का यह पवित्र मंदिर देश के 52 शक्तिपीठों में शामिल है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यहीं दानवीर कर्ण हर दिन सवा मन सोना दान करते थे। तो आज हम आपको इस पवित्र स्थल से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

Maa chandika devi temple bihar

बिहार का चंडिका देवी मंदिर बेहद प्रसिद्ध शक्तिपीठ में से एक है। शक्तिपीठ वे स्थान होते हैं जहां माता सती के शरीर के अंग गिरे थे। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से आंखों के रोगों से छुटकारा मिलता है। यही कारण हैं कि यहां आंखों के रोगों से पीड़ित श्रद्धालु विशेष रूप से पूजा पाठ व दर्शन के लिए आते हैं। नवरात्रि के पावन दिनों में यहां भारी संख्या में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। 

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दानवीर कर्ण से जुड़ी पौराणिक कथा—
लोक कथाओं के अनुसार, कहा जाता है कि दानवीर कर्ण देवी चंडिका के अनन्य भक्त थे. वह अपनी अद्वितीय दानशीलता और धर्मनिष्ठा के लिए जाने जाते थे. माना जाता है कि कर्ण ने इस स्थान पर देवी चंडिका की कठोर तपस्या की और उन्हें प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन सवा मन सोना दान किया करते थे. इसी कारण यह स्थान ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है. यह कहा जाता है कि देवी चंडिका ने कर्ण की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था.

इसी वरदान से कर्ण को महाभारत युद्ध में अमोघ शक्ति और साहस प्राप्त हुआ था. महाभारत की कथा के अनुसार, कर्ण को अपने जन्म और सामाजिक स्थिति के कारण कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. लेकिन उनकी दानशीलता और भक्ति ने उन्हें महान योद्धा के साथ-साथ धर्मात्मा बना दिया. इस मंदिर को उनकी उस भक्ति का प्रतीक माना जाता है, जो उन्होंने अपने पूरे जीवन में देवी के प्रति प्रकट की थी.

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