ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति को खास माना गया हैं मकर संक्रांति के दिन किसी भी पवित्र नदी, सरोवर या समुद्र में स्नान करने का खास महत्व होता हैं मगर इसकी शुभता और पुण्यफल तब और बढ़ जाता है जब इस दिन गंगा सागर में स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त होता हैं गंगा सागर में स्नान दान और पूजा का धार्मिक महत्व आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं तो आइए जनते हैं।

हिंदू धर्म परंपरा में गंगा सागर की तीर्थ यात्रा को बेहद महत्व दिया जाता हैं मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में जो स्नान और दान का महत्व है वह श्रद्धालु को कहीं दूसरी जगह नहीं मिलता हैं यही कारण हे कि पश्चिम बंगाल के इस सबसे बड़े मेले में हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं गंगा सागर की तीर्थ यात्रा के बारे में कहा जाता है कि सारे तीरथ बार बार गंगा सागर एक बार, इस कहावत के पीछे मान्यता है कि जो पुण्यफल की प्राप्ति किसी श्रद्धालु को सभी तीर्थों की यात्रा और वहां पर जप तप आदि करने से मिलता है वह उसे गंगा सागर की तीर्थयात्रा में एक बार में ही मिल जाता हैं।

गंगासागर मेला पश्चिम बंगाल में कोलकाता के निकट हुगली नदी के तट पर ठीक उसी स्थान पर किया जाता है जहां पर गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती हैं सरल शब्दों में कहें तो जहां पर गंगा और सागर का मिलन होता है उसे गंगासागर कहा जाता हैं। जनवरी से शुरू हुआ गंगासागर मेला 16 जनवरी तक चलेगा। मकर संक्रांति के दिन यहां पर स्नान और दान का विशेष महत्व होता हैं मकर संक्रांति के दिन इस पावन स्थान पर स्नान करने पर सौ अश्वमेध यज्ञ करने का पुण्य फल मिलता हैं।

मकर संक्रांति के दिन गंगा सागर में स्नान के पुण्यफल के पीछे एक पौराणिक कथा शामिल हैं। जिसके अनुसार मान्यता यह है कि जिस दिन गंगा शिव की जटा से निकलकर पृथ्वी पर बहते हए ऋषि कपिल मुनि के आश्रम में पहुंची थी, वह मकर संक्रांति का ही दिन था। इसी दिन मां गंगा कपिल मुनिके श्राप के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए राजा सगर के 60 हजार पुत्रोंको सद्गति प्रदान करके सागर में मिल गयी।


