ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में काशी को धार्मिक नगरी माना गया हैं इस शहर की गिनती दुनिया के सबसे पुराने शहरों में होती हैं इस शहर का वर्णन सनातन, बौद्ध और जैन धर्मों के ग्रंथों में निहित हैं धार्मिक ग्रंथों की मानें तो दैवीय काल में यह सर्वप्रथम भगवान विष्णु का नगर था। कालांतर में जब शिव ने ब्रह्मा जी से क्रोधित होकर उनका पांचवा मस्तक धड़ से अलग कर दिया, तो ब्रह्माजी का मस्तक शिव जी के करतल से चिपक कर रह गया। शिव के कई प्रयासों के बावजूद ब्रह्माजी का मस्तक शिव के करतल से चिपक रहा।

एक बार जब भगवान शिव काशी आए, तो ब्रह्माजी का मस्तक उनके करतल से अलग हो गया। उस समय भगवान शिव को ब्रह्म वध से मुक्ति मिल गई। यह जान शिव बेहद प्रसन्न होकर काशी नगर में बसने की इच्छा रख भगवान विष्णु से काशी नगरी मांग ली। उसी समय से यह नगर बाबा की नगरी कहलाया। प्राचीन काल से काशी में शिव के मंदिर स्थापित हैं वर्तमान समय में काशी विश्वनाथ मंदिर हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर के कुछ दूरी पर माता अन्नपूर्णा का मंदिर हैं तो आज हम आपको इस मंदिर के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।

बाबा की नगरी काशी में विश्वनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर माता अन्नपूर्णा मंदिर है। इस मंदिर में माता अन्नपूर्णा की पूजा उपासना की जाती हैं धार्मिक मान्यता है कि रोजाना विधि पूर्वक मां अन्नपूर्णा की पूजा करने से गृह में विपरीत परिस्थिति में भी अन्न की कमी नहीं होती हैं शास्त्रों में निहित है कि अन्न का सम्मान और ध्यान रखना चाहिए भूलकर भी अन्न का अपमान नहीं करना चाहिए साथ ही जितनी भूख हो, उतना ही भोजन परोसना चाहिए

कभी अन्न को फेंकना नहीं चाहिए। इससे घर की लक्ष्मी भी चली जाती हैं और घर में दरिद्रता का वास होने लगता हैं इस मंदिर में कई अनुपम छवि हैं, जिनमें माता अन्नपूर्णा रसोई भी हैं वहीं प्रांगण में कई प्रतिमाएं अवस्थित हैं इनमें मां काली, पार्वती, शिव जी सहित कई अन्य देवी देवता भी हैं हर साल अन्नकूट उत्सव के दौरा बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर आकर माता के दर्शन करते हैं रोजाना बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बाद श्रद्धालु माता के दर्शन करने जरूर आते हैं।


