ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म पंचांग के अनुसार साल में चार नवरात्रि मनाई जाती हैं पहली नवरात्रि माघ मास में पड़ती हैं जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता हैं दूसरी नवरात्रि चैत्र मास में आती हैं जिसे चैत्र नवरात्रि कहते हैं वही तीसरी नवरात्रि आषाढ़ महीने में मनाई जाती हैं जिसे गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता हैं चौथी और आखिरी नवरात्रि अश्विन मास में मनाई जाती हैं जिसे अश्विन नवरात्रि कहते है।
इनमें गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना और मनोकामना सिद्धि की जाती हैं गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की देवी की पूजा आराधना की जाती हैं। दस महाविद्या देवियां काली, त्रिपुरा भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, तारा त्रिपुर सुंदरी, भुनेश्वर, छिन्नमस्ता हैं। इन दस महाविद्या देवियों की पूजा उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं जल्द ही पूरी हो जाती हैं तंत्र साधना करने वाले साधक कठोर भक्ति कर माता को प्रसन्न कर उनसे मुंहमांगा आशीर्वाद प्राप्त करते हैं इनमें बगलामुखी आंठवी महाविद्या की देवी हैं इनका वर्ण स्वर्ण के समान हैं अत: इन्हें पीतांबरा भी कहा जाता हैं।

ज्योतिष की मानें तो ब्रह्मांड में व्याप्त तरंग की देवी बगलामुखी हैं मध्यप्रदेश के दतिया में माता बंगलामुखी का मंदिर स्थित हैं इस मंदिर की स्थापना सन् 1935 में की गई थी। यह मंदिर पीताम्बरा पीठ के नाम से दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं इतिहासकारों की मानें तो सन् 1935 में स्वामीजी महाराज ने दतिया के नरेश के सहयोग से मंदिर का निर्माण करवाया था।

तत्कालीन समय में इस जगह पर श्मशान हुआ करता था। इससे पूर्व में मंदिर स्थल पर पीठ था। इस पीठ की स्थापना श्रीस्वामी जी द्वारा किया गया था। इस मंदिर में मां बगलामुखी और धूमावती देवी की प्रतिमा स्थापित हैं साथ ही मंदिर परिसर में हनुमान जी, कालभैरव, परशुराम सहित अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित हैं इसके अलावा, मंदिर परिसर में संस्कृत पुस्तकालय भी हैं तंत्र साधना सीखने वाले साधक संस्कृत पुस्तकालय से गुप्त मंत्रों से संग्रहित पुस्तकें खरीद सकते हैं।


