Govardhan Puja 2024 इनके दर्शन के बिना पूरी नहीं होगी गोवर्धन की परिक्रमा, दो मिनट में देखें गोवर्धन पूजा की तारीख और विधि
ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन दिवाली को बहुत ही खास माना जाता है जो कि पूरे पांच दिनों तक मनाई जाती है इसकी शुरूआत धनतेरस से होती है और समापन भाई दूज के दिन हो जाता है दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है।
इस दिन भगवान कृष्ण और गायों की पूजा का विधान होता है। गोवर्धन भी उत्तर प्रदेश में स्थित है। इस जगह से भी भगवान कृष्ण का गंहरा संबंध है। मथुरा वृंदावन में जाने वाले अधिकतर लोग गोवर्धन पर्वत के दर्शन को जरूर जाते हैं, तो आज हम आपको गोवर्धन पर्वत के आस पास की कुछ जगहों के बारे में बता रहे हैं जहां आप दर्शन का जा सकते हैं तो आइए जानते हैं।
गोवर्धन के पास हैं ये जगह—
गोवर्धन के पास राधा कुंड है जिसे श्याम कुंड के नाम से भी जाना जाता है इस कुंड में मानसी गंगा का पवित्र जल भरकर रखा गया है। इस कुंड के जल से स्नान करने की प्रथा भी है। अक्टूबर और नवंबर के महीने में इस कुंड में स्नान का विशेष महत्व होता है। इसके अलावा आप दान घाटी मंदिर के दर्शन को भी जा सकते हैं।
इस मंदिर की बहुत मान्यता है यहां पत्थरों की मूर्तियां रखी हुई हैं। जिसके पीछे माना जाता है कि ये मूर्तियां हर साल धरती में धीरे धीरे धंसती जा रही है। दान घाटी मंदिर को गोवर्धन के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। कुसुम सरोवर शांत और बहुत ही खूबसूरत है जो कि राधा कुंड से करीब 25 मिनट की दूरी पर स्थित है। यहां आपको घाट भी देखने को मिल जाएंगे। जहां आप अपने परिवार के साथ समय बिता सकते हैं।
मानसी गंगा कुंड को लेकर यह कहा जाता है कि जब तक व्यक्ति इस कुंड के दर्शन नहीं करता है तब तक गोवर्धन की परिक्रमा पूरी नहीं होती है इस कुंड में डुबकी लेना बहुत जरूरी है। मानसी गंगा कुंड को यहां का सबसे बड़ा सरोवर माना गया था लेकिन अब यह धीरे धीरे छोटा हो रहा है। मुखारविंद मंदिर जतीपुरा में है। बता दें कि भक्त इसी मंदिर से गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा आरंभ करते हैं रोजाना यहां पर हजारों की संख्या में लोग दूध और फूल लेकर आते हैं ताकि अपनी पूजा परिक्रमा की शुरुआत कर सकें। इस पवित्र स्थल को सकारात्मक शक्ति के लिए भी जाना जाता है।