Samachar Nama
×

कौन थी मां वैष्णो देवी, सनातन धर्म में क्यों होती है इनकी पूजा

Mata vaishno devi birth history

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में देवी देवताओं की आराधना को सर्वोत्तम माना गया है मान्यता है कि ईश्वर की पूजा करने से भक्तों को शांत और सुख की प्राप्ति होती है वही उत्तरी भारत में सबसे अधिक पूजी जाने वाली देवी मां वैष्णो को जगत जननी कहा जाता है मान्यता है कि देवी के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते है

Mata vaishno devi birth history

देवी मां का पवित्र स्थल माता वैष्णो देवी का मंदिर भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है जो कि जम्मू और कश्मीर राज्य के जम्मू क्षेत्र के कटरा से करीब 14 किलोमीटर दूर त्रिकुटा की पहाड़ियों पर स्थित है माता के भक्त लाखों की संख्या में यहां देवी के दर्शन करने आते है ऐसे में अधिकतर लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि माता वैष्णो कौन है, तो आज हम आपको एक पौराणिक कथा के द्वारा देवी मां के बारे में विस्तार से बता रहे है तो आइए जानते है। 

Mata vaishno devi birth history

जानिए कौन थी माता वैष्णो—
धार्मिक और पौराणिक कथा के अनुसार मां वैष्णो देवी ने भारत के दक्षिण में रत्नाकर सागर नाम के व्यक्ति के घर में जन्म लिया था उनके लौकिक माता पिता लंबे वक्त तक नि:संतान थे देवी बालिका के जन्म से एक रात पहले, रत्नाकर ने वचन लिया कि बालिका जो भी चाहे वह उसकी हर इच्छा को पूर्ण करेंगे और इसके बीच कभी नहीं आएंगे। माता वैष्णो को बचपन में त्रिकुटा नाम से बुलाया जाता था बाद में भगवान श्री हरि विष्णु के वंश से जन्म लेने के कारण ये वैष्णवी कहलाई। कहते है कि जब त्रिकुटा नौ साल की थी तब उन्होंने अपने पिता से समुद्र के किनारे पर तपस्या करने की अनुमति चाहीं त्रिकुटा ने राम के रूप में भगवान विष्णु से प्रार्थन कीं सीता की खोज करते वक्त जब श्रीराम अपनी सेना के साथ समुद्र के किनारे पहुंचे तो उनकी  दृष्टि ध्यान में लीन इस दिव्य बालिका पर पड़ी।

Mata vaishno devi birth history

त्रिकुटा ने श्रीराम से कहा कि उसने उन्हें अपने पति के रूप में स्वीकार किया है श्रीराम ने उसे बताया कि उन्होंने इस अवतार में केवल सीता के प्रति निष्ठावान रहने का वचन लिया है मगर भगवान ने उसे आश्वासन दिया कि कलियुग में वे कल्कि रूप में प्रकट होंगे और उससे विवाह करेंगे। तभी प्रभु राम ने त्रिकुटा से उत्तर भारत में स्थित माणिक पहाड़ियों की त्रिकुटा श्रृंखला में अवस्थित गुफा में ध्यान में लीन रहने के लिए कहा। रावण के विरुद्ध श्रीराम की विजय के लिए माता ने नवरात्रि मनाने का निर्णय लिया। इसी कारण भक्त नवरात्रि के नौ दिनों में रामायण का पाठ करते है। कहा जाता है कि प्रभु राम ने वचन दिया था कि वे समस्त संसार में माता वैष्णो देवी के नाम से प्रसिद्ध होंगी और सदा पूजी जाएगी। 

Mata vaishno devi birth history

Share this story