ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में पूजा पाठ के साथ साथ तीर्थ स्थलों को भी विशेष माना जाता हैं वही देश में शक्ति के कई ऐसे पावन स्थल है, जो तमाम तरह के चमत्कारों से भरे हुए हैं और सबसे बड़ी बात यह कि आज तक उन चमत्कारों के पीछे का रहस्य कोई नहीं खोज पाया हैं एक ऐसा ही पावन शक्तिपीठ है मां ज्वाला देवी का मंदिर, जो कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित हैं सुख और समृद्धि प्रदान करने वाले पावन शक्तिपीठों में से एक हैं मां ज्वाला मुखी का दिव्य धाम। इस पावन शक्तिपीठ को पवित्र और प्रचंड स्थान माना गया हैं तो आज हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
शक्तिपीठ मां ज्वाला देवी के बारे में मान्यता है कि माता सती की अधजली जिह्वा यहां पर गिरी थी। जिसे कालांतर में लोगों ने मां ज्वाला देवी कहकर पुकारा और साधना की। माता के इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं हैं यहां पर निरंतर निकलने वाली आग को ही मां ज्वाला देवी का प्राकट्य माना जाता हैं यहां पर शक्ति के नौ स्वरूपों में नौ ज्वालाएं हमेशा जलती रहती हैं।
ज्वाला देवी के इस चमत्कारिक शक्तिपीठ में सदियों से पावन ज्वाला जल रही है जो किसी भी प्रकार से बुझाने पर नहीं बुझती हैं मान्यता है कि मुगल काल में सम्राट अकबर इस मंदिर में आया था। पहले तो अकबर ने भगवती श्री ज्वाला जी की पवित्र ज्योति का बुझाने की तमाम कोशिश की मगर जब अंत में सफल रहा, तो उसने भगवती के चरणों में स्वर्ण छत्र चढ़ाया।
मां ज्वाला देवी का यह मंदिर काली धार नाम की एक पर्वत श्रृंखला पर स्थित हैं इस मंदिर के ऊपर सुनहरे गुंबद और ऊंची चोटियां बनी हैं मंदिर के अंदर तीन फीट गहरा और चौकोर गड्ढा है जिसके चारों ओर रास्ता बना हुआ हैं मां के दरबार के ठीक सामने है सेजा भवन, जो कि भगवती ज्वाला देवी का शयन कक्ष हैं इस भवन में प्रवेश करते ही बीचोंबीच माता का पलंग दिखाई पड़ता हैं।