Krishna Janmashtami के मौके पर जानिए कौन था वो दुष्ट-अहंकारी राजा जो खुद को समाझता था असली कृष्ण, जाने द्वापर की ये रहस्यमयी कथा
जन्माष्टमी का त्यौहार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त, शनिवार को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार बेहद खास माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है और व्रत भी रखा जाता है।
भगवान श्री कृष्ण की लीलाएँ
भगवान कृष्ण का नाम सुनते ही सभी को उनके दिव्य रूप और अद्भुत लीलाओं की याद आ जाती है। भगवान कृष्ण द्वापर युग में जन्मे थे और भगवान विष्णु के अवतार थे। भगवान श्री कृष्ण के पास कई अद्भुत शक्तियाँ थीं, जैसे सुदर्शन चक्र, कौस्तुभ मणि और उनके पास मौजूद पांचजन्य बांसुरी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्री कृष्ण से जुड़ी कई कहानियाँ हैं, जिनमें से एक है नकली श्री कृष्ण की कहानी। कहा जाता है कि वह खुद को भगवान कृष्ण बताता था और लोगों को अपनी पूजा करने के लिए मजबूर भी करता था। नकली श्री कृष्ण कौन थे?
महाभारत के अनुसार, पौंड्रक नाम का एक राजा था, जो खुद को भगवान कृष्ण कहता था। उसका दावा था कि वह असली श्री कृष्ण है, क्योंकि उसके पिता का नाम भी वासुदेव था। पौंड्रक ने अपनी जादुई शक्तियों से अपने लिए नकली सुदर्शन चक्र, कौस्तुभ मणि और मोर पंख बनवाए ताकि लोग उसे ही असली कृष्ण मान लें। वह काशी के आसपास के क्षेत्र का राजा था और उसने अपने क्षेत्र में खूब प्रचार किया कि वही असली कृष्ण है।
राजा पौंड्रक ने भगवान कृष्ण को चुनौती भी दी कि या तो वे मथुरा छोड़ दें या उनसे युद्ध करें। जब श्री कृष्ण को यह बात पता चली, तो उन्होंने युद्ध के लिए खुद को तैयार कर लिया। युद्ध में श्री कृष्ण ने देखा कि पौंड्रक का ढोंग बिल्कुल उनके जैसा था - पीला कपड़ा, मोर पंख और यहाँ तक कि सुदर्शन चक्र भी नकली था। लेकिन असली और नकली में फ़र्क़ होता है।
भगवान कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से पौंड्रक को आसानी से परास्त कर दिया था। इस घटना से हमें यही सीख मिलती है कि बनावटी बनने की कोशिश मत करो, बल्कि अपने असली गुणों को पहचानो और उन्हें निखारते हुए आगे बढ़ो। बनावटी छवि ज़्यादा देर तक नहीं टिकती, असली पहचान और कड़ी मेहनत ही सफलता दिलाती है।

