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Janmashtami 2025 के मौके पर दुल्हन की तरह सजी मथुरा नगरी, झांकियों से लेकर मटकी फोड़ तक जाने कैसे मनाया जाएगा कान्हा का जन्मोत्सव 

Janmashtami 2025 के मौके पर दुल्हन की तरह सजी मथुरा नगरी, झांकियों से लेकर मटकी फोड़ तक जाने कैसे मनाया जाएगा कान्हा का जन्मोत्सव 

नंद के लाला यानी भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को मनाने के लिए देशभर में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। कान्हा की जन्मस्थली मथुरा में भी लोग इस पर्व को मनाने को लेकर काफी उत्साहित हैं। श्रीकृष्ण जन्मस्थान और मथुरा के सभी प्रमुख मंदिरों में 16 अगस्त की मध्यरात्रि को मनाए जाने वाले जन्माष्टमी उत्सव को दिव्य और भव्य बनाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां चल रही हैं। मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया जा रहा है। एक ओर जहां जन्माष्टमी के पावन पर्व पर देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के मथुरा पहुंचने की उम्मीद है, वहीं दूसरी ओर कृष्ण भक्तों को कान्हा की भक्ति में सराबोर करने के लिए पूरे इंतजाम किए जा रहे हैं। कटरा केशवदेव स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में भव्य समारोह का आयोजन किया जाएगा, जहां भागवत भवन में भगवान की दिव्य प्राकट्य लीला का मंचन किया जाएगा।

भगवान कृष्ण चाँदी के गर्भगृह में विराजमान होंगे

श्री कृष्ण जन्मभूमि न्यास के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि भगवान कृष्ण चाँदी से सुसज्जित गर्भगृह में विराजमान होंगे, जिसे 'सिंदूर' के फूलों के महल की तरह सजाया गया है। इसी प्रकार, ठाकुरजी की चल प्रतिमा को 'चाँदी के सूप' में विराजमान कर अभिषेक स्थल पर ले जाया जाएगा। परंपरा के अनुसार, भगवान का प्राकट्य भी 'चाँदी के कमल' पुष्प में होगा और प्रथम स्नान स्वर्ण-मंडित चाँदी की कामधेनु गाय की प्रतिमा से कराया जाएगा।

कब से कब तक दर्शन उपलब्ध होंगे

इस वर्ष ठाकुरजी के जन्माभिषेक दर्शन के लिए श्रद्धालु सुबह 5:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक मंदिर परिसर में प्रवेश कर सकेंगे। जन्मोत्सव से एक दिन पहले शुक्रवार को शाम 6 बजे भगवान कृष्ण की भव्य पोशाक का विशेष 'अर्पण एवं दर्शन' समारोह आयोजित किया जाएगा। जन्माष्टमी के अवसर पर जन्मस्थान परिसर स्थित श्री केशवदेव, श्रीयोगमाया, गर्भगृह, श्री राधाकृष्ण युगल सरकार मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी।

सिंदूर बंगले में दिखेगी ऑपरेशन सिंदूर की झलक

कान्हा के लिए सजाया गया 'सिंदूर बंगला' भारतीय सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' से प्रेरित है। कुल मिलाकर, यह आध्यात्मिक संकल्प, राष्ट्रहित, सैन्य पराक्रम और रणनीतिक कौशल का पावन संगम होगा। निश्चित रूप से, विजय और सुरक्षा के प्रतीक भगवान कृष्ण के इस अनूठे स्वरूप के दर्शन कर भक्तों को गहन गौरव और आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति होगी। श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी के अनुसार, मंदिर परिसर को सुंदर सजावट और रोशनी से सजाया जा रहा है। कंस के कारागार के रूप में प्रसिद्ध गर्भगृह को 221 किलो चांदी से विशेष रूप दिया गया है।

कब से कब तक होगी पूजा

इस वर्ष जन्माभिषेक का मुख्य कार्यक्रम शनिवार रात्रि 11 बजे श्री गणेश, नवग्रह आदि की पूजा के साथ प्रारंभ होगा, जो सहस्त्रार्चना (एक हजार बार पुष्प और तुलसी पत्र अर्पित करना) के साथ रात्रि 11:55 बजे तक चलेगा। इसके बाद 11:59 बजे प्राकट्य दर्शन के लिए पट बंद कर दिए जाएँगे और प्राकट्य दर्शन के दौरान मध्य रात्रि 12 बजे से 12:10 बजे तक आरती होगी।इसके बाद 12:10 बजे से 12:25 बजे तक पयोधर महाभिषेक और 12:25 बजे से 12:40 बजे तक रजत कमल पुष्प में विराजमान ठाकुर जी का जन्माभिषेक किया जाएगा। 12:45 बजे से 12:50 बजे तक श्रृंगार आरती और अंत में 1:55 बजे से 2 बजे तक शयन आरती की जाएगी।

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