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Navratri 2024: आखिर क्यों व्रत और पूजा के दौरान लहसुन-प्याज खाने की है मनाही? वीडियो में जानिए इसके पीछे की वजह

नवरात्रि में मां दुर्गा के चौथे रूप मां कुष्‍मांडा की पूजा चौथे दिन करने का विधान है। इस दिन सभी लोग विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा करतेहैं.......

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राजस्थान न्यूज़ डेस्क !!! नवरात्रि में मां दुर्गा के चौथे रूप मां कुष्‍मांडा की पूजा चौथे दिन करने का विधान है। इस दिन सभी लोग विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा करते हैं और भोग मिठाई और फल अर्पित करके आरती करते हैं। मां को भोग में मालपुआ भी बेहद प्रिय है। इसलिए पूजा में मालपुआ भी रखना चाहिए।\

मां कुष्‍मांडा 8 भुजाओं वाली दिव्‍य शक्ति धारण मां परमेश्‍वरी का रूप हैं। मान्‍यता है कि मां कुष्‍मांडा की पूजा करने से आपके सभी अभीष्‍ट कार्य पूर्ण होते हैं और जिन कार्य में बाधा आती हैं वे भी बिना किसी रुकावट के संपन्‍न हो जाते हैं। मां कुष्‍मांडा की पूजा करने से भक्‍तों को सुख और सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है। देवी पुराण में बताया गया है कि पढ़ने वाले छात्रों को मां कुष्‍मांडा की पूजा नवरात्रि में जरूर करनी चाहिए। मां दुर्गा उनकी बुद्धि का विकास करने में सहायक होती हैं।

मां को क्‍यों कहते हैं कुष्‍मांडा

देवी कुष्‍मांडा की महिमा के बारे में देवी भागवत पुराण में विस्‍तार से बताया गया है मां दुर्गा के चौथे रूप ने अपनी मंद मुस्‍कान से ब्रह्मांड की उत्‍पत्ति की थी, इसलिए मां का नाम कुष्‍मांडा देवी पड़ा। ऐसी मान्‍यता है कि सृष्टि के आरंभ में चारों तरफ अंधियारा था और मां ने अपनी हल्‍की हंसी से पूरे ब्रह्मांड को रच डाला। सूरज की तपिश को सहने की शक्ति मां के अंदर है।

ऐसा है मां कुष्‍मांडा का रूप

मां कुष्‍मांडा का स्‍वरूप बहुत ही दिव्‍य और अलौकिक माना गया है। मां कुष्‍मांडा शेर की सवारी करती हैं और अपनी आठ भुजाओं में दिव्‍य अस्‍त्र धारण की हुई हैं। मां कुष्‍मांडा ने अपनी आठ भुजाओं में कमंडल, कलश, कमल, सुदर्शन चक्र धारण की हुई हैं। मां का यह रूप हमें जीवन शक्ति प्रदान करने वाला माना गया है।

मां कुष्‍मांडा का भोग

मां कुष्‍मांडा की पूजा में पीले रंग का केसर वाला पेठा रखना चाहिए और उसी का भोग लगाएं। कुछ लोग मां कुष्‍मांडा की पूजा में समूचे सफेद पेठे के फल की बलि भी चढ़ाते हैं। इसके साथ ही देवी को मालपुआ और बताशे भी चढ़ाने चाहिए।

मां कुष्‍मांडा का पूजा मंत्र

बीज मंत्र: कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:

पूजा मंत्र: ऊं ष्माण्डायै नम:

ध्यान मंत्र: वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥

मां कुष्‍मांडा की पूजाविधि

नवरात्रि के चौथे दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान कर लें और पूजा की तैयारी कर लें मां कुष्‍मांडा का व्रत करने का संकल्‍प करें। पूजा के स्‍थान को सबसे पहले गंगाजल से पवित्र कर लें। लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर मां की प्रतिमा स्‍थापित करें। मां कुष्‍मांडा का स्‍मरण करें। पूजा में पीले वस्‍त्र फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत आदि अर्पित करें। सारी सामिग्री अर्पित करने के बाद मां की आरती करें और भोग लगाएं। सबसे आखिर में क्षमा याचना करें और ध्‍यान लगाकर दुर्गा सप्‍तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

मां कुष्‍मांडा की आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ ली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

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