सावन के शुभ अवसर पर करें श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम् का पाठ,इस पौराणिक वीडियो में इसके स्वास्थ्य और आध्यात्मिक लाभ जान रह जाएंगे दंग
सावन का महीना भारतीय सनातन संस्कृति में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह न केवल भगवान शिव की भक्ति के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इस महीने में की गई अन्य देवताओं की आराधना भी विशेष फलदायी मानी जाती है। इन्हीं में से एक है भगवान श्री गणेश, जिनकी उपासना हर शुभ कार्य से पहले की जाती है। खासतौर पर सावन के महीने में "श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम्" का पाठ करना अत्यंत शुभ और कल्याणकारी माना गया है। यह स्तोत्र भगवान गणेश के 12 पावन नामों का संकीर्तन है, जिसमें छिपे हैं आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़े कई रहस्य।
क्या है श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम्?
यह स्तोत्र भगवान गणेश के बारह नामों—सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्नराज, धूम्रवर्ण, भालचंद्र, विनायक, गणपति, और गजानन—का वर्णन करता है। इन नामों का उच्चारण करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, और जीवन में शुभता का संचार होता है। इस स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल या संध्या समय, विशेष रूप से सावन के सोमवार और चतुर्थी तिथि पर करने से इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
आध्यात्मिक लाभ
विघ्नों का नाश: श्री गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ कहा जाता है। द्वादश नामों का उच्चारण करने से जीवन में आने वाली बाधाएं और विघ्न दूर हो जाते हैं।
मन की स्थिरता और शुद्धता: यह स्तोत्र ध्यान और साधना में मदद करता है। इसके नियमित जाप से व्यक्ति का मन शांत होता है और वह आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ता है।
कर्मों की शुद्धि: इन नामों का उच्चारण व्यक्ति के पापों का नाश करता है और आत्मा की शुद्धि में सहायक होता है।
पारिवारिक कल्याण: अगर पूरे परिवार के साथ इस स्तोत्र का पाठ किया जाए, तो घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
स्वास्थ्य लाभ
हालांकि श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम् एक आध्यात्मिक ग्रंथ है, लेकिन इसके नियमित पाठ से मनोवैज्ञानिक और शारीरिक रूप से भी सकारात्मक असर होता है।
तनाव और चिंता से मुक्ति: इस स्तोत्र के उच्चारण में ऐसी ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो मस्तिष्क को शांत करती हैं। इससे चिंता, अनिद्रा और तनाव जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।
सांस संबंधी रोगों में लाभ: शुद्ध और गहरी सांसों के साथ इसका पाठ करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है। खासकर जो लोग प्राणायाम के साथ इसका जाप करते हैं, उन्हें दमा, एलर्जी आदि में लाभ मिलता है।
नकारात्मकता से बचाव: स्तोत्र के शब्दों में कंपन शक्ति होती है जो आसपास के वातावरण को सकारात्मक बनाती है। इससे रोग और अवसाद फैलाने वाली नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
मन की ऊर्जा में वृद्धि: नियमित पाठ से आत्मविश्वास और मानसिक ऊर्जा का संचार होता है, जो जीवन में उत्साह और प्रेरणा लाता है।

