OMG! दक्षिण भारत में स्थित एक ऐसा मंदिर जहाँ विज्ञान भी मान चुका है हार, रहस्य जानकर आपके भी उड़ जाएंगे होश

भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जो विज्ञान को चुनौती देते हैं। इन्हीं में से एक है आंध्र प्रदेश के कुरनूल में स्थित यागंती मंदिर। अर्धनारीश्वर भगवान के इस मंदिर को श्री यागंती उमा माहेश्वरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन यह अपने रहस्यों के कारण चर्चा में रहता है। यहां के नंदी का आकार हो या गोपुर में जल कुंड का प्रवाह, इस मंदिर से जुड़े रहस्य आज भी विज्ञान को चुनौती दे रहे हैं।
दावा है कि इस मंदिर में स्थापित पत्थर की नंदी प्रतिमा का आकार लगातार बढ़ रहा है। क्या पत्थरों में जीवन हो सकता है? इस नंदी का आकार हर साल बढ़ता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले यह छोटे आकार का था लेकिन अब यह लगभग मंदिर प्रांगण के आकार का हो गया है!कई बुद्धिजीवियों और वैज्ञानिकों ने यहां शोध किया है लेकिन यह आज भी रहस्य बना हुआ है। आखिरकार वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस पत्थर में बढ़ने का गुण है, इसलिए यह हर 20 साल में 1 इंच की दर से बढ़ रहा है। विज्ञान को दरकिनार कर भक्त इसे भगवान महेश्वर की लीला मानते हैं।
सिर्फ नंदी ही नहीं, यागंती मंदिर के कुंड भी रहस्य हैं। मुख्य मंदिर से राज गोपुरम के बीच में बने कुंड में पानी बहता है। शिवलिंग के नीचे से लगातार पानी बह रहा है, जो रहस्य बना हुआ है। गोपुरम के दो छिद्रों से बहने वाले पानी का स्रोत अभी तक नहीं समझा जा सका है। इस पानी से मंदिर के बाहर 16 एकड़ की सिंचाई न हो पाना भी यहां का एक बड़ा रहस्य है। इस मंदिर में कौवे नहीं आते। स्थानीय लोगों का मानना है कि ऐसा ऋषि अगस्त्य के श्राप के कारण होता है। लोगों का दावा है कि यहां वेंकटेश्वर गुफा में मिली मूर्ति तिरुपति में स्थापित मूर्ति से भी पुरानी है। इतना ही नहीं, यह भी कहा जाता है कि भारत के नास्त्रेदमस कहे जाने वाले वीर ब्रह्मा ने 'काल गणित' पुस्तक के कुछ अध्याय यहीं लिखे थे।