Samachar Nama
×

Navratri 2025 : आज है तप व ज्ञान की देवी ब्रह्मचारिणी का दिन, वीडियो में जरूर सुने ये पावन व्रत कथा जीवन में आएगी सफलता और खुशहाली

Navratri 2025 : आज है तप व ज्ञान की देवी ब्रह्मचारिणी का दिन, वीडियो में जरूर सुने ये पावन व्रत कथा जीवन में आएगी सफलता और खुशहाली

नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इस दिन उनकी कथा सुनना शुभ माना जाता है, जिससे मानसिक शांति, सफलता और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।

नवरात्रि 2025 व्रत कथा: माँ दुर्गा के दूसरे स्वरूप की पूजा माँ ब्रह्मचारिणी के रूप में की जाती है। 'ब्रह्मा' का अर्थ है तपस्या और 'चारिणी' का अर्थ है उसका पालन करने वाली। माँ का यह रूप भक्तों को तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की प्रेरणा देता है और साधकों को अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन माँ ब्रह्मचारिणी की कथा सुनना भी अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे जीवन में शांति और सफलता प्राप्त होती है।

माँ ब्रह्मचारिणी की कथा
माँ ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था। नारद जी के आदेश पर, उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या शुरू की। इस कठोर साधना के कारण उन्हें तपश्चारिणी, अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम मिला। एक हज़ार वर्षों तक उन्होंने केवल फल-फूल खाए और सौ वर्षों तक उन्होंने धरती पर रहकर कठिन जीवन व्यतीत किया। उन्होंने खुले आसमान के नीचे वर्षा और धूप को सहन करते हुए कठोर व्रत किए। तीन हज़ार वर्षों तक उन्होंने बिल्वपत्र तोड़कर भगवान शिव की आराधना की। इसके बाद उन्होंने सूखे बिल्वपत्र भी खाना छोड़ दिया और कई हज़ार वर्षों तक बिना जल और भोजन के अपनी तपस्या जारी रखी। इस त्याग के कारण उन्हें अपर्णा भी कहा गया। उनकी कठोर तपस्या देखकर देवता और ऋषि-मुनि आश्चर्यचकित हुए और कहा कि कोई और ऐसी तपस्या नहीं कर सकता। देवताओं ने देवी से कहा कि उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी और उन्हें भगवान शिव पति रूप में प्राप्त होंगे। इस कथा का संदेश यह है कि कठिन परिस्थितियों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए। माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से साधक को सिद्धि प्राप्त होती है। नवरात्रि के दूसरे दिन इसी स्वरूप की पूजा की जाती है।

यह है माँ का स्वरूप
नवरात्रि के दूसरे दिन पूजी जाने वाली माँ ब्रह्मचारिणी ब्रह्मांड में ऊर्जा के प्रवाह, कार्यकुशलता और आंतरिक शक्ति के विस्तार की जननी हैं। ब्रह्मचारिणी इस संसार के सभी चेतन और जड़ ज्ञान की ज्ञाता हैं। इनका स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिपटी एक कन्या का है, जिसके एक हाथ में अष्टदल माला और दूसरे हाथ में कमंडल है। अक्षयमाला और कमंडल धारण करने वाली ब्रह्मचारिणी नाम की यह दुर्गा शास्त्रों, निगमागम, तंत्र, मंत्र आदि के ज्ञान से परिपूर्ण हैं। वे अपने भक्तों को सर्वज्ञ ज्ञान प्रदान करती हैं और उन्हें विजयी बनाती हैं। ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत सरल और भव्य है। अन्य देवियों की तुलना में, वे अत्यंत सौम्य, क्रोधरहित और तुरन्त वरदान देने वाली हैं।

Share this story

Tags