Naulakha Temple: छेनी-हथौड़े से तराशा गया यह चमत्कारी मंदिर, रानी के दर्द और भक्ति का बना प्रतीक, जानें पूरी कहानी
देवघर को देवताओं की नगरी कहा जाता है। मान्यता है कि यहाँ भगवान भोलेनाथ विराजमान हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, बाबाधाम ज्योतिर्लिंग के अलावा, यहाँ एक और मंदिर है जो बेहद भव्य और सुंदर है। इस मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं या यूँ कहें कि बाबा मंदिर में पूजा करने आने वाले सभी भक्त एक बार इस मंदिर के दर्शन ज़रूर करते हैं। इस मंदिर का नाम नौलखा है। नौलखा मंदिर, बाबा मंदिर से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर करनीबाग में स्थित है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के बाल रूप लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित है। यहाँ साल भर दर्शन और पूजा के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है।
मंदिर का इतिहास
देवघर के करनीबाग में स्थित नौलखा मंदिर वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर की नक्काशी देखकर आप भी हैरान रह जाएँगे। प्रत्येक पत्थर पर छेनी और हथौड़े से अद्भुत नक्काशी की गई है। जानकारी के अनुसार, इस मंदिर की नींव 1932 में रखी गई थी और इसका निर्माण 1940 में पूरा हुआ था। प्राप्त जानकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल के पथुरिया घाट की महारानी चारुशीला के 8 वर्षीय पुत्र जितेंद्र घोष और पति अक्षय घोष की मृत्यु के बाद, वे मानसिक शांति की तलाश में बालानंद ब्रह्मचारी से मिलने देवघर पहुँचीं। इसके बाद वे भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन हो गईं और अपने पुत्र की स्मृति में इस नौलखा मंदिर का निर्माण कराया, जिसके गर्भगृह में लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित है।
इसका नाम नौलखा कैसे पड़ा
इस मंदिर के निर्माण में 9 वर्ष लगे। इन 9 वर्षों में मंदिर के निर्माण में कुल 9 लाख रुपये खर्च हुए। उस समय 9 लाख रुपये का मूल्य बहुत अधिक था। इसी कारण इस मंदिर का नाम नौलखा पड़ा।
सावन के महीने में सबसे ज़्यादा भीड़ उमड़ती है
इस नौलखा मंदिर में वैसे तो साल भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन सावन के महीने में बिहार, झारखंड और बंगाल, इन तीन राज्यों से भक्त सबसे ज़्यादा दर्शन के लिए नौलखा मंदिर आते हैं। जिन लोगों को संतान प्राप्ति में देरी हो रही हो या जिनका वैवाहिक जीवन सुखी न हो, वे ख़ास तौर पर यहाँ आकर मन्नत मांगते हैं। इस मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जा रहा है।

