Nag Panchami 2025: नागपंचमी पर पूजे जाते हैं ये 8 दिव्य नागदेवता, जानिए इनके नाम, महत्व और पूजन विधि
हिंदू धर्म में नाग पंचमी का त्योहार नागों की पूजा और श्रद्धा का प्रतीक है, जो सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार नागों के प्रति कृतज्ञता और सुरक्षा की भावना से जुड़ा है। भारत के कई हिस्सों में नाग पंचमी का त्योहार बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। हिंदू धर्म में नागों को देवता का दर्जा प्राप्त है। कहा जाता है कि नाग देवता की पूजा करने से काल सर्प दोष, सर्प भय और जीवन में आने वाली अनजानी बाधाएं दूर होती हैं। इस दिन नाग देवता को दूध से स्नान कराना, उनकी पूजा करना और दूध चढ़ाना विशेष पुण्यदायी माना जाता है। नाग पंचमी के दिन आठ प्रमुख नागों की पूजा का विधान है।
नाग पंचमी पर आठ प्रमुख नागों (अष्टनाग) की पूजा
अनंत
सृष्टि के आरंभ से अंत तक विद्यमान, अनंत शक्तिशाली नाग। इन्हें भगवान विष्णु की शय्या भी कहा जाता है।
वासुकी
जिनके शरीर का उपयोग देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन के दौरान मथनी के रूप में किया था। वे शिव के गले में सुशोभित हैं।
शेष
भगवान विष्णु के सेवक हैं और अपने फन पर अनंत पृथ्वी को धारण करते हैं।
पद्म
ये नाग जल तत्व से संबंधित माने जाते हैं और समृद्धि एवं शांति के प्रतीक हैं।
महापद्म
ये हिमालय क्षेत्र में रहते हैं और हिमनद ऊर्जा के प्रतीक हैं।
तक्षक
महाभारत काल में प्रसिद्ध, जिसने अर्जुन के वंशज राजा परीक्षित को डसा था। इन्हें अत्यंत शक्तिशाली और प्रतिशोधी माना जाता है।
कुलिक
एक ऐसा नाग जो न्यायप्रिय और धर्म की रक्षा करने वाला होता है। कुछ ग्रंथों में इन्हें यमराज का दूत भी बताया गया है।
कर्कोटक
ये नाग भगवान शिव के उपासक हैं और तपस्वी माने जाते हैं। इन्हें तांत्रिक शक्तियों का स्वामी भी कहा जाता है।
पूजन विधि
इन आठ नागों के नाम लेकर दूध, चावल, कुशा, चंदन, पुष्प, दूब आदि अर्पित किए जाते हैं।
यह पूजन दीवार पर नाग का चित्र लगाकर, मिट्टी के नाग या शिवलिंग पर दूध चढ़ाकर भी किया जा सकता है।पूजा के दौरान "ॐ नमः सर्पेभ्यः" मंत्र का जाप किया जाता है।
अष्टनागों की पूजा के लाभ
कालसर्प दोष से मुक्ति
संतान सुख
सर्प भय और दुर्घटनाओं से सुरक्षा
मानसिक और पारिवारिक शांति
कुंडली के राहु-केतु दोष को शांत करता है

