मृत्युंजय और महामृत्युंजय मंत्र दोनों एक जैसे दिखते हैं पर क्या हैं वाकई समान? लीक्ड फुटेज में जाने दोनों के बेच अंतर

भगवान शिव के दिव्य, चमत्कारी और प्रसिद्ध मंत्रों में से एक है 'महामृत्युंजय मंत्र' जिसकी रचना मार्कंडेय ऋषि ने की थी। इस मंत्र के बारे में शास्त्रों में बताया गया है कि इस मंत्र का जाप करने से आती हुई मृत्यु भी लौट जाती है। जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा से इस मंत्र का जाप करता है, भगवान शिव उसकी रक्षा करते हैं। मृत्युंजय मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु जैसे भयंकर योग का भी नाश हो जाता है।
आपमें से बहुत से लोग मृत्युंजय मंत्र का जाप करते होंगे। भगवान शिव के इस मंत्र को कुछ लोग मृत्युंजय मंत्र कहते हैं, तो कुछ इसे महामृत्युंजय मंत्र कहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मृत्युंजय मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र में बहुत बड़ा अंतर है। जब मैंने ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि मृत्युंजय मंत्र महामृत्युंजय मंत्र से किस तरह अलग है। आइए विस्तार से जानते हैं।
मृत्युंजय मंत्र क्या है?
शास्त्रों में वर्णित जानकारी के अनुसार मृत्युंजय मंत्र की शुरुआत इस प्रकार होती है: 'ओम त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बंधनान्मृत त्योर्मुक्षीय मामृतात्।'
महा मृत्युंजय मंत्र क्या है?
महामृत्युंजय मंत्र 'ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधि पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बंधनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ। ॐ जूं स मम पालय पलय सः जूं ॐ।'
मृत्युंजय और महामृत्युंजय मंत्र में क्या अंतर है?
मृत्युंजय मंत्र का जाप रोजाना किया जा सकता है और इसके जाप के नियम भी बहुत सरल हैं, लेकिन हवन-अनुष्ठान के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप पूरी विधि के अनुसार किया जाता है। मृत्युंजय मंत्र के पहले और बाद में बीज मंत्र का जाप नहीं किया जाता है, जबकि महामृत्युंजय मंत्र में शुरुआत और अंत में बीज मंत्र का जाप करना आवश्यक माना जाता हैमृत्युंजय मंत्र को सिद्ध करने के लिए 6 महीने तक लगातार 108 बार इसका जाप करना होता है। वहीं, 1 साल में 1 हजार लाख बार जाप करने पर ही महामृत्युंजय मंत्र सिद्ध हो सकता है।